नई दिल्ली।प्रदूषण के मामले में वर्तमान में लगभग सभी शहर प्रदूषण की समस्या से ग्रसित हैं।आंकडों के अनुसार वायु में मौजूद सूक्ष्म कणों (पीएम-10) से होने वाले प्रदूषण के मामले में,देश में प्रदूषित शहरों की टॉप टेन की लिस्ट में सात उत्तर प्रदेश के हैं।जो की बेहद चिंताजनक हैं मानव जीवन की ओर बढ़ता हुआ गंभीर खतरा हैं देश के 94 शहरों में हवा में पार्टीकुलेट मैटर (पीएम- 10 )तेजी से बढ़ रहा है। इन शहरों में उत्तर प्रदेश का गाजियाबाद नंबर वन पर है, बरेली तीसरे और दिल्ली चौथे नंबर पर।वहीं दूसरी तरफ देश के पांच शहरों में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड फैलने के मामले में राजधानी दिल्ली टॉप पर है।
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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने पिछले तीन वर्षों की सतत निगरानी के आधार पर इस संबंध में तैयार रिपोर्ट पिछले सप्ताह सभी राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के चैयरमेन व सदस्य सचिवों की एक कांफ्रेस में साझा की।

इस रिपोर्ट के साथ-साथ स्थिति से निपटने के लिए तैयार किया गया 42 सूत्रीय एक्शन प्लान भी अधिकारियों को बताया गया।

इस एक्शन प्लान में वाहनों का प्रदूषण कम करने, एक अप्रैल 2020 में बीएस छह लागू करने, सड़कों पर उड़ने वाली धूल नियंत्रित करने व खुले में आग जलाने, और बहुत अधिक प्रदूषण हो जाने की स्थिति में डीजल चालित वाहनों पर रोक लगाने जैसे विभिन्न उपाय सुझाए गए हैं।

PM 10 की दृष्टि से सर्वाधिक प्रदूषित 10 शहरों की लिस्ट-

1. गाजियाबाद

2. इलाहाबाद

3. बरेली

4. दिल्ली

5. कानपुर

6. फिरोजाबाद

7. आगरा

8. अलवर

9. गजरौला

10. जयपुर

वो 5 शहर जहां तेजी से बढ़ रहा नाइट्रोजन डाइऑक्साइड-

1. दिल्ली

2. बादलपुर

3. पुणे

4. उल्हास नगर

5. कोलकाता

वायु प्रदूषण पर नजर रखने वालें एक एनजी ने हवा में पार्टीकुलेट मैटर (पीएम) के बारे में बताया कि यह हवा में ठोस अथवा तरल के रुप में मौजूद अति सूक्ष्म कण हैं। इनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर से कम होता है, इसलिए उन्हें पीएम-2.5 कहा जाता है और जिनका व्यास 10 माइक्रोमीटर से कम होता है, उन्हें पीएम-10 कहा जाता है।

पीएम 10 का इंडेक्स वाहनों से निकलने वाले धुएं से सबसे ज्यादा बढ़ता है।इसके अलावा भवन निर्माण से उड़ने वाली धूल, सड़क पर वाहनों के चलने से उड़ने वाली धूल और रेगिस्तानी इलाकों से उड़ने वाली हवा में शामिल धूल कण भी इसके प्रमुख कारण हैं।

इन कणों में हवा में मौजूद कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बन डाई ऑक्साइड, लेड आदि घुले होते हैं और इससे यह जहरीला हो जाता है।पीएम-2.5 का स्तर 60 से अधिक होने पर स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है।सूक्ष्म कण सांस के जरिए फेफडों में पहुंचते हैं।यह रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा कम कर देता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है।हवा में पीएम-10 की अधिकतम मात्रा 100 और पीएम-2.5 की मात्रा 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होनी चाहिए।

 

 

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