बरेली। कमिश्नर डा. पीवी जगनमोहन ने आयुक्त सभागार में मण्डल के समस्त सीडीओ, सीएमओ, डीपीआरओ, डीपीओ, शिक्षा विभाग के अधिकारियों आदि के साथ बैठक कर पोषण मिशन कार्यक्रम को प्रभावी रुप से क्रियान्वित करने पर जोर दिया। बच्चों के कुपोषण निदान में विभिन्न विभागों को समन्वय के साथ कार्य करना हैं। अति कुपोषित बच्चों को जनपद स्तर पर जिला अस्पताल में बने एनआरसी में भर्ती कराकर उनका इलाज करायें।
बच्चों के गरीब माता-पिता को मनरेगा, एन0आर0एल0एम0 में रोजगार व पात्रता की श्रेणी पर पेंशन आदि उपलब्ध करायी जाये। कमिश्नर ने कहा कि कुपोषण की जड़ पर प्रहार किया जाये इसके लिए गर्भवती महिलाओं की नियमित जाॅच कर उनके स्वास्थ्य की व्यवस्था हो। बच्चे का जन्म शत प्रतिशत अस्पतालों में करायें। जन्म के तत्काल बाद आधे घंटे के अन्दर शिशु को केवल माता का ही दूध पिलवाये। इसके लिए व्यापक जागरुकता पैदा की जाये। अस्पतालों के मैटरनिटी वार्डो में टी0वी0 लगे रहते है उनमें बच्चें को माॅ का दूध अमृत जैसी वीडियों दिखाकर प्रोत्साहित करें। किशोरियों में खून की कमी नहीं हो इसके लिए आयरन फोलिक एसिड टेबलेट निशुल्क वितरण की योजना हैं।
एबीएसए के माध्यम से स्कूलों में पहुॅचाने का प्रावधान हैं। कमिश्नर ने ए0डी0 बेसिक को निर्देशित किया कि ए0बीएस0ए0 का वेतन तब तक रोका जाये जब तक वह स्कूलों में आयरन की टेबलेट भिजवाने का कार्य पूर्ण नही कर दें। ग्रामीण क्षेत्रोें में सी0एच0सी0, पी0एच0सी0 पर बच्चों में कुपोषण निदान हेतु बाल रोग विशेष डाक्टरों की उपलब्धता हेतु सभी सरकारी डाक्टरों को आवश्यक प्रशिक्षण दिया जाये, प्राइवेट बालरोग विशेषज्ञ डाक्टरों को सूचीबद्ध कर ले तथा सेवा निवृत्त डाक्टर जो इच्छुक हो उन्हे मानदेय पर रखा जाये।
मण्डल के डी0पी0आर0ओ को निर्देशित किया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों के प्राइमरी स्कूलों में रिबोर होने वाले हैडपम्प 15 दिन में रिबोर करा दें तथा उनमें गहरी बोरिंग कराये। बैठक में बताया गया कि कुपोषित बच्चों वाले गाॅव को मण्डलीय व जिला स्तरीय अधिकारियों द्वारा गोद लिया गया है। कमिश्नर ने उनसे प्रतिमाह निरीक्षण आख्या माॅगी हैं।