लाइफस्टाइल डेस्क। मित्रों! सनातनी हिन्दू प्र्र्रत्येक जीवात्मा में परमात्मा के दर्शन करते हैं। आज नाग पंचमी है। सनातनी भारतीय इस दिन नागों को देवता मानकर उनकी पूजा करते हैं। इसीलिए आज हम आपको देवालय की यात्रा में आपको ले चलतें हैं विश्व के इकलौते नागचंद्रेश्वर मंदिर की यात्रा पर।
नागचंद्रेश्वर मंदिर भारत के मध्य प्रदेश (उज्जैन) के महाकालेश्वर मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है। यह नागचंद्रेश्वर मंदिर वर्ष में केवल एक दिन श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी अर्थात नाग पंचमी के दिन ही भक्तों के दर्शनार्थ खुलता है। मान्यता है कि नागों के राजा तक्षक स्वयं इस मंदिर में विराजमान रहते हैं। आइये चलते हैं नागचंद्रेश्वर मंदिर की यात्रा पर और जानतें हैं इन के महात्म्य के बारे में-
सर्वे नागाः प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।
ये च हेलिमरीचिस्था येऽन्तरे दिवि संस्थिताः॥
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिनः।
ये च वापीतडगेषु तेषु सर्वेषु वै नमः॥
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शङ्ख पालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा॥
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायङ्काले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषतः।
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्॥
दर्शन मात्र से होता है कालसर्प दोष निवारण
श्री ब्रह्माण्डस्वामी महाकालेश्वर मंदिर स्थित श्रीनागचंद्रेश्वर के दर्शन मात्र से कालसर्प दोष निवारण होता है। नागचंद्रेश्वर मंदिर में आज नाग पंचमी के पर्व पर मंदिर के पुजारी ने पूरे विधि-विधान से श्रीनागचंद्रेश्वर की पूजा की। कोरोना महामारी के चलते इस साल भक्तों को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गयी। मंदिर के पुजारी के अनुसार साल में एक बार नाग पंचमी के दिन ही मंदिर के कपाट खोले जाते हैं।