मुंबई। (State cannot cancel examinations: UGC) विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission/UGC) ने बंबई हाईकोर्ट में कहा कि महाराष्ट्र सरकार को कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के बीच अंतिम वर्ष की परीक्षाएं निरस्त करने का कोई अधिकार नहीं है। सेवानिवृत्त शिक्षक और पुणे से विश्वविद्यालय सीनेट के पूर्व सदस्य धनंजय कुलकर्णी की याचिका के जवाब में यूजीसी की ओर से हलफनामा दाखिल किया गया। इस याचिका में परीक्षाएं निरस्त करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है। मामले में अगली सुनवाई 31 जुलाई को होगी। 

महाराष्ट्र सरकार ने पिछले महीने अंतिम वर्ष की परीक्षाएं रद्द कर दी थीं। सरकार ने कहा था कि उसे महामारी अधिनियम और आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत ऐसा करने का अधिकार है लेकिन यूजीसी ने शुक्रवार को अदालत में दलील दी कि इन कानूनों को विश्वविद्यालय अनुदान आयुक्त अधिनियम जैसे विशेष कानून के वैधानिक प्रावधानों को निष्प्रभावी करने के लिए लागू नहीं किया जा सकता। UGC ने कहा कि राज्य सरकार का फैसला उसके 29 अप्रैल और 6 जुलाई, 2020 को जारी दिशा-निर्देशों के प्रतिकूल है जिसमें सभी विश्वविद्यालयों और संस्थानों से सितंबर 2020 के अंत तक परीक्षाएं करने को कहा गया था।

UGC ने हलफनामे में कहा कि अंतिम वर्ष की परीक्षाएं रद्द करने या बिना परीक्षाओं के छात्र-छात्राओं को डिग्री प्रदान करने का महाराष्ट्र सरकार का फैसला सीधे तौर पर देश में उच्च शिक्षा के मानकों को प्रभावित करेगा। इसमें कहा गया कि परीक्षाओं के मानकों के नियमन के लिहाज से यूजीसी सर्वोच्च इकाई है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्त की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 31 जुलाई की तारीख तय की। 

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