नई दिल्‍ली। भाजपा विधायक कृष्‍णानंद राय की हत्‍या के मामले में विशेष सीबीआई अदालत ने बुधवार को पूर्व विधायक मुख्‍तार अंसारी और उनके भाई अफजाल अंसारी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। वर्ष 2005 में हुए इस हत्‍याकांड में मुख्‍तार अंसारी और उनके भाई अफजाल अंसारी समेत संजीव माहेश्वरी,  एजाजुल हक,  राकेश पांडेय, रामू मल्लाह और मुन्ना बजरंगी को आरोपी बनाया गया था। पिछले साल नौ जुलाई की सुबह बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

कृष्‍णानंद राय उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में मोहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे। करीमुद्दीनपुर थाना क्षेत्र के गोडउर गांव निवासी कृष्णानंद राय क्षेत्र के सोनाड़ी गांव में क्रिकेट मैच का उद्घाटन करने के बाद वापस अपने गांव लौट रहे थे। शाम करीब चार बजे बसनियां चट्टी पर उनके काफिले को घेरकर ताबड़तोड़ फायरिंग हुई थी। एके-47 से गोलियों की बौछार कर विधायक समेत सात लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था। ऐसा आरोप था कि हमले के दौरान करीब पांच सौ से अधिक गोलियों का प्रयोग किया गया था। पोस्‍टमार्टम में राय के शरीर में 21 गोलियां पाई गई थीं। सीबीआई ने इस मामले में मुख्तार अंसारी को मुख्य साजिशकर्ता माना था।

कृष्‍णानंद राय की हत्या को लेकर उत्‍तर प्रदेश की राजनीति में उबाल आ गया था। हत्‍यारों को सजा दिलाने की मांग करते हुए वरिष्‍ठ भाजपा नेता राजनाथ सिंह ने चंदौली में धरना दिया था। बाद में इस मामले को सीबीआई को सौंपा गया था। राय की पत्‍नी अलका राय की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले ती सीबीआई जांच के निर्देश दिए थे। अब करीब 13 साल तक सुनवाई के बाद मुख्‍तार अंसारी को सबूतों की कमी का हवाला देते हुए बरी कर दिया गया है।  मुख्तार मऊ विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक रह चुके हैं। वर्ष 1996 में मुख्‍तार ने पहली बार बसपा के टिकट पर चुनाव जीता था। बसपा ने 2010 में मुख्‍तार को पार्टी से निकाल दिया था। साल 2002 में और 2007 में मुख्तार ने निर्दलीय प्रत्‍याशी के तौर पर जीत हासिल की थी। वर्ष 2007 में वह दोबारा बसपा में शामिल हो गए। सन् 2009 में उन्‍होंने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन असफल रहे।

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