अयोध्या। धर्मनगरी में 5 अगस्त को होने वाले राम मंदिर के भूमि पूजन से पहले मंगलवार को हनुमानगढ़ी में निशान पूजन किया गया। निशान पूजन के जरिये हनुमान जी से राम मंदिर निर्माण की अनुमति ली गई। राम मंदिर निर्माण में निशान हनुमानगढ़ी का निशान पूजन का विशेष महत्व है। हनुमानगढ़ी का निशान 1700 वर्ष पुराना है। राम मंदिर के लिए भूमि पूजन के लिए तैयारियां अपने अंतिम चरम में है। मुख्य पूजन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी निर्धारित शुभ मुहूर्त में करेंगे। यह मुहूर्त 32 सेंकेड का है जो मध्याहन 12 बजकर 44 मिनट 8 सेकेंड से लेकर 12 बजकर 44 मिनट 40 सेकेंड के बीच है।

आज मंगलवार को राम जन्मभूमि परिसर में राम अर्चना भी हो रही है। इस पूजन के माध्यम से भगवान राम को प्रसन्न किया जाता है। भगवान राम की प्रसन्नता के लिए रामर्चान विशेष तरीके का पूजन होता है। पुजारी सत्यनारायण दास ने बताया कि रामार्चन पूजा के चार चरण हैं। पहले चरण में भगवान राम के अलावा सभी बड़े देवताओं का आह्वान किया जाता है और उनकी पूजा पहले की जाती है। इसके बाद दूसरे चरण में अयोध्या की पूजा की जाती है। इसके साथ भगवान राम के साथ युद्ध में भाग लेने वाले सेनापतियों नल-नील, सुग्रीव आदि का पूजन होता है। तीसरे चरण में भगवान राम के पिता राजा दशरथ की पूजा की जाती है। दशरथ के साथ उनकी पत्नियों कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी की भी पूजा की जाती है। इशके बाद भगवान के तीनों भाइयों लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का पूजन किया जाता है। महावीर हनुमान का पूजन भी तीसरे चरण में ही किया जाता है। सबसे अंत में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की पूजा की जाती है।

इससे पहले सोमवार को 21 पुजारियों ने राम जन्मभूमि स्थल पर और हनुमान गढ़ी मंदिर में तीन दिवसीय वैदिक अनुष्ठान शुरू किया। इस दौरान अयोध्या नगरी में पूजा पाठ के दौरान चारों ओर वातावरण में श्री राम के उद्गोष सुनाई देते रहे।

क्या होती है निशान पूजा

प्रभु राम के सबसे बड़े भक्त हनुमान जी भगवान श्रीराम के द्वार के रक्षक हैं। श्रीराम जी के द्वार में उनकी आज्ञा के बिना किसी को भी प्रवेश नहीं मिलता। यही कारण है कि निशान पूजन की मान्यताओं के अनुसार प्रभु श्रीराम से जुड़े किसी भी विशेष कार्य से पहले उनके परमभक्त हनुमान की आज्ञा आवश्यक है और भूमि पूजन से पहले हनुमान जी का निशान पूजन इस बात को दर्शाता है। कुंभ के समय भी निशान पूजन होता है। हनुमान गढ़ी में हनुमान पूजन और निशान दोनों होते हैं। अखाड़ों के निशान की पूजा का भी हनुमान पूजा जितना महत्व है।

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