निर्भय सक्सेना
आज 5 अगस्त है यानि करीब 500 साल बाद आया ऐतिहासिक दिन, जब भगवान राम को सदियों के बनवास के बाद अपना घर वापस मिलेगा। अर्थात अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर के निर्माण का शुभारम्भ होगा। इस दिन को देखने के लिए सनातनी हिन्दू समाज सदियों से संघर्ष कर रहा था। भगवान राम अपने ही देश में, अपनी ही धरती पर अपने घर के निर्माण की वाट जोह रहे थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कर कमलों से शिलान्यास भूमिपूजन होते ही यह प्रतीक्षा के प्रतिफल स्वरूप सुखद अनुभूति विश्व भर में फैले भगवान के राम के भक्तों को होगी। इस पावन अवसर के साक्षी 200 विशेष अतिथि बनेंगे किन्तु वे चेहरे जो इस आन्दोलन की नींव के पत्थर हैं इन विशेष अतिथियों में नहीं होंगे। कुछ आयु के कारण तो कुछ किसी अन्य कारण से इस ऐतिहासिक समारोह में शामिल नहीं हो सकेंगे।
बता दें कि 9 नवम्बर 2019 को सर्वोच्च अदालत ने राम जन्म भूमि पर निर्णय सुनाकर मंदिर बनने की राह तो आसान कर दी। पर 6 दिसम्बर 1992 को विवादित ढांचा गिराने का केस अभी लखनऊ की अदालत में चल रहा है। इसमें 31 अगस्त 2020 तक निर्णय देने के सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश भी जारी किए थे। लगभग 27 साल बाद पिछले दिनों सीबीआई कि विशेष अदालत में तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार, उमा भारती ने अपने अपने बयान भी दर्ज कराये थे। अभी इस केस में 31 अगस्त 2020 तक निर्णय आने में भी अभी समय है।
संभवतया इसी कारण इन चार पुरोधाओं को विवाद से बचने को राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष की ओर से आमंत्रण नहीं भेजे गए? फिलहाल ये सभी नेता नेताओं की आयु की अधिकता एवम कोरोना संकट से बचाव के लिए ही वर्चुअल कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़कर आयोजन में शामिल हो सकेंगे। उमा भारती अयोध्या पहुँच भी गईं पर उनहोंने भी कहा है कि वो पूजा कार्यक्रम में नही जाकर सरयू तट पर ही पूजा करेंगी।
विश्व हिंदू परिषद की 1990 में सोमनाथ से अयोध्या को लाल कृष्ण आडवाणी जी की निकली जिस रथ यात्रा में जो नरेन्द्र मोदी सारथी थे। वही सारथी समयचक्र के अनुसार अब लालकृष्ण आडवाणी की अनुपस्थिति में 30 साल बाद 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर की नींव का भूमिपूजन भी करेंगे। अब पूरे कार्यक्रम को राम जन्म भूमि तीर्थ शेत्र ट्रस्ट का ही गैर सरकारी कार्यक्रम बताया जा रहा है। यूपी में होने के कारण कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मेजबानी में आजकल अयोध्या में राममंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम की दिव्यता को बढ़ाने के लिए एलईडी लाइट के प्रकाश में पीले रंग में रंगी रामनगरी अयोध्या में त्रेता युग जैसा माहौल बनाया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी कार्यक्रम के मुख्य मेजबान भी है, के अनुसार 67 एकड़ भूमि को रामलला के नाम राम जन्मभूमि तीर्थ शेत्र ट्रस्ट को दे दी गई है। इसमे 2.77 एकड़ रामलला के नाम हो गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गत दिवस अयोध्या का दौराकर आवश्यक जानकरी प्राप्त की।
अशोक सिंघल ने कहा था-अब राम मंदिर तो बनकर ही रहेगा
विश्व हिंदू परिषद विहिप के नेता स्वर्गीय अशोक सिंघल जी ने ढांचा टूटने के बाद एक भेंट में मुझसे कहा था कि अब राम मंदिर तो बन कर ही रहेगा । स्मरण रहे 500 वर्ष के मुगल शासन फिर अंग्रेजों के बाद भी अयोध्या का राम मंदिर देश को आजादी के बाद भी विवाद में बना रहा। आजादी के बाद भी प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी अयोध्या में रामलला को गर्भगृह से बेदखल करने पर अमादा थे। वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा ने अपनी किताब ‘युद्ध में अयोध्या’ में विस्तार से इस घटना का ब्यौरा दिया है। जवाहर लाल नेहरू के मॅंसूबों को केरल के रहने वाले आईसीएस अधिकारी के के नायर, जो उस समय फैजाबाद के जिलाधिकारी थे, ने विफल कर दिया था।
तत्कालीन जिलाधिकारी के.के नायर की जबाबी चिट्ठियों से राज्य सरकार दबाव में आ गई। तब मुख्य सचिव सहाय ने उन्हें फोन कर कहा कि वे मौके पर जैसा ठीक समझें करें। जब राम मंदिर मे अदालत के आदेश पर ताला खुला तो भी दिए जले थे। अब तो कॉंग्रेस प्रवक्ता भी कुछ बातों जैसा ताला खुलने की अपनी उपलब्धियों की बात कह रहे है। जबकि दिग्विजय सिंह अभी भी दोबारा शिलान्यास को गलत बात रहे है। यहां याद दिलाना जरूरी है कि इसी कांग्रेस सरकार ने एक दशक पहले ही सुप्रीम कोर्ट में शपथपत्र दाखिल करके भगवान को काल्पनिक बताते हुए रामसेतु को तोड़ने की बात कही थी। खैर, राम मंदिर बनने जा रहा है। शायद इसीलिए कहते हैं कि ‘‘होइहि सोई जो राम रचि राखा….। राम मंदिर निर्माण हेतु भूमि पूजन के शुभ अवसर पर सभी सनातनी रामभक्तों को हार्दिक शुभकामनाएं।
लेखक निर्भय सक्सेना, freelance वरिष्ठ पत्रकार हैं।