नई दिल्ली। (Bankruptcy proceedings allowed against Anil Ambani) कभी अपने बड़े भाई मुकेश अंबानी से ज्यादा बड़े उद्योगपति माने जाने वाले “छोटे अंबानी” यानी अनिल अंबानी का बुरा दौर खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा। कर्ज ना चुका पाने के कारण कुछ दिन पहले यश बैंक ने उनकी कंपनी के मुख्यालय पर कब्जा कर लिया था और अब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) का 1200 करोड़ रुपये का कर्ज ना चुका पाने के मामले में नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) ने उनके खिलाफ दिवालिया की कार्यवाही आगे बढ़ाने की इजाजत दे दी है।

भारतीय स्टेट बैंक ने साल 2016 में अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनियों रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) और रिलायंस इंफ्राटेल (RITL) को ये कर्ज दिए थे। “छोटे अंबानी” ने इन कर्जों के लिए 1200 करोड़ रुपये की पर्सनल गारंटी दी थी। अब ये दोनों कंपनियां बंद हो गई हैं। इसकी वजह से स्टेट बैंक को मुंबई NCLT में अपील करनी पड़ी। बैंक ने मांग की कि दिवालिया कानून के मुताबिक अनिल अंबानी से यह रकम वसूली की इजाजत दी जाए क्योंकि उन्होंने इस कर्ज की पर्सनल गारंटी दी है।

NCLT मुंबई ने अपनी टिप्पणी में कहा, “RCOM और RITL दोनों ने जनवरी 2017 में कर्ज के भुगतान में डिफॉल्ट किया है। उनके एकाउंट को 26 अगस्त 2016 से ही नॉन परफॉर्मिंग एसेट घोषित कर दिया गया था।”

गौरतलब है कि साल 2019 की शुरुआत में RCom ने बैंकरप्शी यानी दिवालिया होने के लिए आवेदन किया और बताया कि उसके उपर करीब 33,000 करोड़ रुपये का कर्ज है। हालांकि, बैंकों का कहना है कि उनका अगस्त 2019 तक RCom के उपर 49,000 करोड़ रुपये का बकाया है। इसी साल मार्च में SBI बोर्ड ने RCom के लिए एक समाधान योजना पेश की, जिसमें यह कहा गया कि करीब 50 प्रतिशत की छूट देते हुए बैंक अपना 23,000 करोड़ रुपये वसूल लेंगे।

error: Content is protected !!