लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पशुपालन घोटाले में शामिल लोगों की मदद करने के आरोप विभाग में करोड़ों के टेंडर घोटाले में नाम आने के बाद दो पुलिस उपमहानिरीक्षकों (डीआरई) को निलंबित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर जिन दो अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है उनमें डीआईजी रूल्स एंड मैनुअल दिनेश दुबे और डीआईजी पीएसी अरविंद सेन शामिल हैं। इन पर घोटाले में शामिल लोगों की मदद करने का आरोप है। इसी मामले में आरोपितों के मददगार हेड कांस्टेबल दिलबहार सिंह को पहले ही निलंबित कर दिया गया था।
पशुपालन विभाग के इस फर्जीवाड़े में पशुधन राज्यमंत्री जयप्रताप निषाद के निजी प्रधान सचिव रजनीश दीक्षित, निजी सचिव धीरज कुमार देव, इलेक्ट्रॉनिक चैनल के पत्रकार आशीष राय, अनिल राय, कथित पत्रकार एके राजीव, रूपक राय और उमाशंकर को 14 जून को गिरफ्तार किया गया था। इन लोगों के खिलाफ इंदौर के व्यापारी मंजीत भाटिया ने शासन में शिकायत की थी।
एसटीएफ के मुताबिक मंजीत भाटिया ने सीबीसीआईडी के तत्कालीन एसपी (अब डीआईजी) पर इन लोगों से मिलीभगत कर धमकाने का आरोप लगाया था। एसटीएफ की पड़ताल में साफ हुआ कि तब सीबीसीआईडी में एसपी अरविंद सेन थे। अरविंद सेन इस समय डीआईजी हैं और पीएसी सेक्टर आगरा में तैनात हैं। जांच में उन पर धमकाने का आरोप सही पाया गया। गिरफ्तार लोगों ने सचिवालय में पशुपालन विभाग का फर्जी कार्यालय बनाकर जो फर्जीवाड़ा किया, उससे अन्य अधिकारी और एसटीएफ भी हैरान रह गई थी। मामले के तूल पकड़ने पर शासन ने जांच जल्दी पूरी कर सभी आरोपितों को पकड़ने को कहा था। इस जांच में ही सामने आया कि गिरफ्तार आरोपितोंके एक और आईपीएस डीसी दुबे से संबंध हैं। ये भी अब डीआईजी हो चुके हैं और रूल्स एंड मैनुअल्स में तैनात हैं।