नई दिल्ली।  (UGC Exam Final Year 2020) सुप्रीम कोर्ट ने विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षा का आयोजन 30 सितंबर 2020 तक कराने पर मुहर लगाते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के सर्कुलर को सही ठहराया है। शीर्ष अदालत ने कहा, “राज्य सरकारें कोरोना संकट काल में परीक्षा नहीं कराने का फैसला स्वयं नहीं कर सकतीं।”

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिए गए अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकारें यूजीसी  की अनुमति के बिना छात्र-छात्राओँ को प्रमोट नहीं कर सकतीं। जिन राज्यों को कोरोना संकट काल में परीक्षा कराने में दिक्कत है वे यूजीसी के पास परीक्षा टालने का आवेदन दे सकते हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विश्वविद्यालयों एवं अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों में स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अंतिम वर्ष या सेमेस्टर की परीक्षाओं को 30 सितंबर 2020 तक करा लेने के यूजीसी द्वारा बीती 6 जुलाई को जारी निर्देशों को चुनौती देनी वाली याचिकाओं पर 18 अगस्त को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

यूजीसी के इस कदम को लेकर देशभर के अलग-अलग संस्थानों के कई छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसमें अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को रद्द करने की मांग की गई थी। अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को लेकर यूजीसी की गाइडलाइन जारी होने के बाद से ही परीक्षा कराए जाने को लेकर लगातार विरोध हो रहा था।

यूजीसी ने दी थी यह दलील

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में यूजीसी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी थी कि अंतिम वर्ष, डिग्री वर्ष है और परीक्षा को खत्म नहीं किया जा सकता है। मेहता ने कुछ विश्वविद्यालयों द्वारा आयोजित परीक्षाओं के उदाहरणों का भी हवाला दिया और कहा कि कई शीर्ष स्तर के विश्वविद्यालयों ने ऑनलाइन परीक्षा का विकल्प चुना है। मेहता ने जोर देकर कहा कि विदेशी विश्वविद्यालयों में दाखिले और आगे की शिक्षा के लिए डिग्री की आवश्यकता होती है। यूजीसी के दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए मेहता ने पीठ के समक्ष कहा कि यह दिशानिर्देश केवल उपदेश भर नहीं है, बल्कि ये अनिवार्य हैं। मेहता ने कहा कि शीर्ष अदालत के सामने जिन दिशा-निर्देशों को चुनौती दी गई है, वे वैधानिक हैं।

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