वाशिंगटन। कोविड-19 (कोरोना वायरस) अस्पतालों में संकमित मरीजों को रोजाना सवेरे 25-30 मिनट धूप में बैठाने के बारे में आपने प्रायः पढ़ा-सुना होगा। अब एक रिसर्च ने इस बात पर मुहर लगा दी है कि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के लिए विटामिन डी बहुत जरूरी है और शरीर में इसकी कमी होने पर कोरोना का खतरा बढ़ा सकता है। गौरतलब है कि सूरज की रोशनी यानी धूप विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत है।
कोरोना वायरस की चपेट में सबसे ज्यादा वे लोग आ रहे हैं, जो पहले से ही किसी बीमारी से पीड़ित हैं। अब एक नए अध्ययन में पाया गया है कि विटामिन डी की कमी के चलते भी कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। विटामिन डी एक हार्मोन है जिसकी उत्पत्ति हमारी त्वचा सूर्य की रोशनी के संपर्क में आने पर करती है। यह शरीर में कैल्शियम और फॉस्फेट की मात्रा को नियंत्रित करने में मदद करता है जो हड्डियों, दांतों और मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के लिए बेहद जरूरी है।
जेएएमए नेटवर्क ओपेन पत्रिका में छपे अध्ययन के अनुसार, शोधकर्ताओं ने विटामिन डी की कमी और कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच संबंध पाया है। अमेरिका की शिकागो यूनिवर्सिटी से जुड़े इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता डेविड मेल्टजर ने कहा, “इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) की कार्यप्रणाली के लिहाज से विटामिन डी अहम होता है। यह पहले ही पता चल चुका है कि विटामिन डी सप्लीमेंट से श्वसन तंत्र में वायरल संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है। हमारे विश्लेषण से भी यही जाहिर होता है कि कोरोना संक्रमण के मामले में भी यह बात सच हो सकती है।”शोधकर्ताओं की टीम ने यह निष्कर्ष 489 रोगियों पर किए गए एक अध्ययन के आधार पर निकाला है। इन रोगियों में विटामिन डी के स्तर को परखा गया। इस अध्ययन के निष्कर्षो से पता चला कि जिन रोगियों में विटामिन डी की कमी पाई गई, उनमें कोरोना संक्रमण का खतरा करीब दो गुना अधिक पाया गया।
शरीर में विटामिन डी की कमी को इस तरह करें दूर
1. धूप विटामिन-डी का प्राकृतिक स्रोत है। पूर्वाह्न 11 बजे तक इसकी मात्रा प्रचुर रहती है। रोजाना धूप में 30 मिनट बैठें। जिन व्यक्तियों में पहले से विटामिन डी कम है, उनमें इस प्रक्रिया से पूर्ति होने में ज्यादा समय लगेगा।
2. विटामिन डी का इंजेक्शन और सीरप बेहतर उपाय हैं। 18 से 80 वर्ष तक की उम्र के लोगों के लिए पहले 12 सप्ताह का कोर्स चलता है। इसमें सप्ताह में एक बार इंजेक्शन और सीरप की डोज दी जाती है। इसके बाद दोबारा टेस्ट कर कोर्स तय किया जाता है।
3. विटामिन-डी की टेबलेट और पाउडर का भी विकल्प है। यह यूनिट के अनुसार डॉक्टर के परामर्श पर ही लें। इसका कोर्स लंबा हो जाता है।