नई दिल्ली। (Rajnath Singh in Parliament on India-China deadlock) लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन से साथ जारी गतिरोध को लेकर मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में जानकारी दी। उन्होंने चीन की सारी हरकतों की पोल खोली, साथ ही भरोसा दिलाया कि किसी भी हालात से निपटने के लिए सेना पूरी तरह मुस्तैद है। उन्होंने बताया कि चीन ने एलएसी पर बड़ी संख्या में सैनिक और गोला-बारूद जुटा लिये हैं जिसके जवाब में भारत की भी पूरी तैयारी है। रक्षा मंत्री ने संकेत दिया कि चीन के साथ ये संघर्ष लंबा खिंच सकता है। उन्होंने भारतीय सैनिकों की वीरता के बारे में बात करते हुए कहा कि जिस तरह से हमारी सेना सुरक्षा कर रही है हमें उन पर गर्व है।

रक्षा मंत्री के बयान की 10 बड़ी बातें

  • दोनों देशों को एलएसी का सम्मान करना चाहिए। वर्ष 1993 एवं 1996 के समझौते में इस बात का जिक्र है कि एलएसी के पास दोनों देश अपनी सेनाओं की संख्या कम से कम रखेंगे। भारतीय सेना ने इसे साफ तौर पर स्वीकार किया। एलएसी पर अभी भी चीन की सेना मौजूद है। अप्रैल में चीन में सीमा पर सैनिकों की संख्या बढ़ाई गई। मई में चीन ने घुसपैठ करने की कोशिश की और 15 जून को गलवान में चीन ने हिंसा की।
  • हम मौजूदा स्थिति का बातचीत के जरिए समाधान चाहते हैं, हमने चीनी पक्ष के साथ राजनयिक और सैन्य व्यस्तता बनाए रखी है। इन बातचीत के तीन प्रमुख सिद्धांत हैं- दोनों पक्षों को एलएसी का सम्मान और कड़ाई से पालन करना चाहिए, किसी भी पक्ष को अपनी तरफ से यथास्थिति का उल्लंघन करने का प्रयास नहीं करना चाहिए और दोनों पक्षों के बीच सभी समझौतों का पूर्णतया पालन होना चाहिए।
  • चीन ने सभी आर्म्ड नॉर्म्स का उल्लंघन किया है। चीनी सैनिकों का हिंसक आचरण पिछले सभी समझौतों का उल्लंघन है। मौजूदा स्थिति के अनुसार चीनी सेना ने एलएसी के अंदर बड़ी संख्या में जवानों और हथियारों को तैनात किया है और क्षेत्र में दोनों देशों के सैनिकों के बीच टकराव के अनेक बिंदु हैं।
  • भारत सीमा क्षेत्रों में मौजूद मुद्दों का हल शांतिपूर्ण बातचीत और समझदारी के जरिए किए जाने के प्रति प्रतिबद्ध है। इसे पाने के लिए उन्होंने 4 सितंबर को मॉस्को में चीनी पक्ष से मुलाकात की और इस मुद्दे पर गहराई से बात की। इस दौरान स्पष्ट तरीके से हमारी चिंताओं को चीनी पक्ष के समक्ष रखा। उन्होंने कहा, “मैंने स्पष्ट रूप से कहा कि हमारे सैनिकों ने हमेशा सीमा प्रबंधन के प्रति एक जिम्मेदार रुख अपनाया था लेकिन साथ ही भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए हमारे दृढ़ संकल्प के बारे में कोई संदेह नहीं होना चाहिए।”
  • हमने चीन को कूटनीतिक और मिलिट्री चैनल्स के माध्यम से ये अवगत करा दिया कि इस तरह की गतिविधियां यथास्थिति को बदलने का प्रयास है। ये भी साफ कर दिया कि ये प्रयास किसी भी सूरत में हमें मंजूर नहीं है।
  • एलएसी पर बढ़ रहे गतिरोध को देखते हुए दोनों तरफ के सैन्य कमांडरों ने 6 जून, 2020 को बैठक की। बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि रेसीप्रोकल एक्शंस के जरिए डिसइंगेजमेंट किया जाए।
  • 15 जून को चीन द्वारा गलवान पर हिंसा की स्थिति बनाई गई। हमारे बहादुर सिपाहियों ने अपनी जान का बलिदान दिया पर साथ ही चीनी पक्ष को भी भारी क्षति पहुंचाई और अपनी सीमा की सुरक्षा में कामयाब रहे। इस पूरी अवधि के दौरान हमारे बहादुर जवानों ने, जहां संयम की जरूरत थी वहां संयम रखा और जहां शौर्य की जरुरत थी, वहां शौर्य प्रदर्शित किया।
  • 29 और 30 अगस्त की रात को चीन की तरफ से की गई सैन्य कार्रवाई पैंगोंग में यथास्थिति को बदलने का प्रयास था  लेकिन एक बार फिर हमारी सशस्त्र सेनाओं की तरफ से उनके प्रयास विफल कर दिए गए।
  • “मैं आपको यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि हमारे सशस्त्र बलों के जवानों का जोश एवं हौसला बुलंद है। माननीय प्रधानमंत्री जी के बहादुर जवानों के बीच जाने के बाद हमारे कमांडर तथा जवानों में यह संदेश गया है कि देश के 130 करोड़ देशवासी जवानों के साथ हैं। उनके लिए बर्फीली ऊंचाइयों के अनुरूप विशेष प्रकार के गरम कपड़े, उनके रहने का टेंट तथा उनके सभी अस्त्र-शस्त्र एवं गोला-बारूद की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। हमारे जवानों की यह प्रतिज्ञा सराहनीय है।”

 

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