नई दिल्ली। कुछ वर्ष पहले तक वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर मनमानी करने के साथ ही भारत को धौंस देता रहा चीन इन दिनों पैंगोंग के दक्षिणी हिस्से में भारतीय सेना की मौजूदगी से परेशान है। भारत और चीन के बीच छठी बार हुई कॉर्प्स लेवल की बैठक में वह इस बात पर बार-बार जोर देता रहा कि भारतीय सेना 29 अगस्त 2020 के बाद पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर बनाई अपनी पोजिशन से पीछे हटे। हालांकि भारत ने भी साफ कह दिया है कि चीनी सेना को पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में अप्रैल-मई 2020 की समयसीमा से पहले वाली मौजूद स्थिति में वापस जाना चाहिए।

दरअसल, पैगोंग झील का दक्षिणी तट भारत के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यहां भारतीय सेना का कब्जा है। हमेशा से यहां भारतीय सेना की मौजूदगी ज्यादा रही है जबकि झील के उत्तरी क्षेत्र में भारतीय सैनिक सिर्फ पैट्रोलिंग करते रहे हैं। यह दक्षिणी हिस्सा चुशूल और रेजांग लॉ के करीब पड़ता है। यही वजह है कि चीन बातचीत के दौरान यहां से भारतीय सैनिकों को हटाने की मांग कर रहा है।

चुशूल क्षेत्र एक ऐसा इलाका जिसका इस्तेमाल हमला करने के लिए लॉन्च पैड के रूप में किया जा सकता है क्योंकि यहां काफी जगह समतल है जो सैन्य गतिविधियों के लिए मुफीद मानी जाती है। चुशूल में भारतीय फौज की अच्छी-खासी उपस्थिति रहती है। यहां के लोग सेना का हर स्थित और मौसम में सहयोग करने को तैयार रहते हैं।

गौरतलब है कि 1962 के युद्ध के दौरान चीन ने पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी दोनों हिस्सों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया था और भारत को शिकस्त झेलनी पड़ी थी।

https://8428a9e1a6c3c2c09cb8bc4b8d89311a.safeframe.googlesyndication.com/safeframe/1-0-37/html/container.html बहरहाल, सोमवार को भारत और चीन की सेना के अधिकारियों के बीच हुई बैठक काफी देर तक चली। करीब 13 घंटे चली बैठक के दौरान भारत की ओर से कड़ा रुख अपनाया गया। भारत की ओर से मांग रखी गई कि चीन को सभी विवादित प्वाइंट से तुरंत पीछे हटना चाहिए। साथ ही सेना को पीछे हटाने की शुरुआत चीन ही करे क्योंकि विवाद को बढ़ावा भी उसने ही दिया।

बैठक में भारत की ओर से साफ-साफ कह दिया गया कि अगर चीन पूरी तरह से वापस जाने और पहले जैसी स्थिति बहाल नहीं करेगा, तो भारतीय सेना लॉन्ग हॉल के लिए तैयार है। यानी भारतीय सेना सर्दियों में भी सीमा पर डटी रहेगी।

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