नई दिल्ली। कोरोना वायरस संक्रमण 21वीं सदी की सबसे बड़ी त्रासदी बन गया है। यह कई तरह से मार कर रहा है। अब तक लाखों लोगों की जान ले चुके इस वायरस को पराजित कर स्वस्थ हो चुके लोगों में भी ज्यादातर व्यक्ति शारीरिक और मानसिक परेशानियों से जूझ रहे हैं। इसका दूसरा सबसे बड़ा असर आर्थिक गतिविधियों पर पड़ा है। रोजगार के अवसर तेजी से घटे हैं और कोई भी यह कह पाने की स्थिति में नहीं है कि “आर्थिक रेल” कब तक पटरी पर वापस लौटेगी। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (International labor organization, आईएलओ) की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर में कोरोना महामारी के कारण 50 करोड़ से अधिक लोग बेरोजगार हुए हैं। यह अनुमान काम के घंटे में आई कमी के आधार पर लगाया है।

आईएलओ ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि कोरोना वायरस की वजह से रोजगार के मोर्चे पर जितना आकलन किया गया था, उससे कहीं अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल के अंत तक सुधार की गुंजाइश भी कम है क्योंकि आर्थिक गतिविधियां धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में वित्त वर्ष 2019-20 की तुलना में इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में काम के घंटे में 17 प्रतिशथ की गिरावट आई है जो 50 करोड़ लोगों की नौकरियां जाने के बराबर है।

दरसअल, इससे पहले जून में आईएलओ की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि कोरोना संकट की वजह से 40 करोड़ लोग बेरोजगार होंगे। अब काम के घंटे के आधार पर रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले के अनुमान से 10 करोड़ अधिक लोग कोरोना वायरस के कारण बेरोजगार हुए हैं।

आईएलओ के अध्यक्ष गाई राइडर का कहना है कि श्रम बाजार को हुआ यह नुकसान भीषण है। वैश्विक स्तर पर श्रम-आय में 10.7% की कमी आई है। आईएलओ ने आशंका जताई है कि अगर कोरोना वायरस की दूसरी लहर (Second wave) आती है तो स्थिति और बिगड़ जाएगी।

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