लखनऊ हाथरस मामले की आड़ में दंगे की साजिश रचे जाने की जांच में बुधवार को एक बड़ा खुलासा हुआ है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सूत्रों के अनुसार, पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को इसके लिए 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की फंडिंग हुई, जिनमें से अकेले मॉरिशस से 50 करोड़ रुपये भेजे गए। योगी आदित्यनाथ सरकार ने इससे पहले प्रदेश को दंगों में झोंकने की आशंका जताते हुए विदेशी संगठनों द्वारा फंडिंग का आरोप लगाया था।

ईडी की शुरुआती जांच रिपोर्ट बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रही है। पीएफआई को मॉरिशस से 50 करोड़ रुपये की फंडिंग को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि विदेश से आए इन रुपयों से उत्तर प्रदेश में माहौल बिगाड़ने की साजिश रचने के साथ ही हाथरस मामले को लेकर प्रदेश में जातीय दंगा भ़ड़काने की कोशिश की जा रही थी।  मथुरा में सोमवार को यमुना एक्सप्रेसवे के मांट टोल पर पकड़े गए कैम्पस ऑफ फ्रंट इंडिया के चारों संदिग्ध के खिलाफ राजद्रोह और समाज में वैमनस्यता फैलाने की धारा बढ़ाई गई है। पहले केवल शांतिभंग की कार्रवाई हुई थी। चारों आरोपरितों को पुलिस अभी कोर्ट में पेश करेगी।

उत्तर प्रदेश सरकार ने दावा किया था कि उसके पास खुफिया एजेंसियों के ऐसे पर्याप्त इनपुट हैं, जो यह साबित करती हैं कि प्रदेश में जातीय हिंसा भड़काने की साजिश रची जा रही है और इसके लिए बाहर (विदेश) से फंडिंग की जा रही है। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय सक्रिय हुआ। शीर्ष सूत्रों के हवाले से यह खबर आ रही थी कि ईडी धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention Money laundering act, पीएमएलए) के तहत प्लेटफॉर्म “कार्ड डॉट कॉम” पर बनाई गई वेबसाइट “जस्टिस फॉर हाथरस” के खिलाफ मामला दर्ज कर सकती है।

सीएए विरोधी हिंसा जैसे हालात पैदा करने की थी साजिश

प्रारंभिक जांच में एक संदिग्ध संगठन को हिंसक विरोध प्रदर्शन के लिए वित्तीय मदद देने के संकेत मिले हैं। सूत्रों ने कहा था कि वेबसाइट का इस्तेमाल उसी तर्ज पर विदेशी फंड जुटाने के लिए एक मंच के रूप में किया गया था, जिस तरह से दिल्ली में सीएए विरोधी हिंसा के लिए किया गया था। पुलिस ने हाथरस जिले के चंदपा पुलिस स्टेशन में देशद्रोह, कोविड-19 की गाइडलाइन का उल्लंघन, धारा-144 का उल्लंघन, आपराधिक साजिश और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम-2008 सहित 20 विभिन्न धाराओं में दर्ज किए गए मुकदम में आरोपितों को चिंह्नित करने की कसरत शुरू कर दी है।  इस  प्राथमिकी में संदेह जताया गया था कि राज्य भर में जाति-संबंधी हिंसा को भड़काने के लिए हाथरस की घटना से संबंधित फर्जी सूचना प्रसारित करने के लिए “जस्टिस फॉर हाथरस” नाम की एक वेबसाइट बनाई गई थी।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फैलाई गई गलत जानकारी : यूपी पुलिस

उत्तर प्रदेश पुलिस का दावा है कि हाथरस मामले को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गलत जानकारी फैलाई गई, माहौल बिगाड़ने की कोशिश की गई और एक जाति से दूसरी जाति में लड़ाई करवाने की कोशिश की गई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस मामले में कार्रवाई की बात कही थी। इसके साथ ही उन्होंने  विपक्ष पर माहौल बिगाड़ने का आरोप लगाया था।

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