नई दिल्ली। युवा इस मुगालते में नहीं रहें कि वे जवान हैं, उन्हें बीमारी (कोरोना वायरस) का कोई असर नहीं होगा। वे अपनी धारण बदलें और बचाव के नियमों का पालन करें। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को यह बात कही। स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कोविड-19 संबंधी 47 प्रतिशत मौत के मामलों में 60 साल से कम उम्र के लोग शामिल हैं। इनमें 2 प्रतिशत लोग 25 साल से कम उम्र के भी हैं।

राजेश भूषण ने कहा कि कोविड-19 संबंधी मौतों में 70 प्रतिशत मामले पुरुषों और 30 प्रतिशत मामले महिलाओं से संबंधित हैं। लगभग 53 प्रतिशत मामलों में लोगों की उम्र 60 साल या इससे अधिक रही। मौत के 35 प्रतिशत मामलों में 45-60 वर्ष की उम्र समूह के लोग शामिल रहे हैं। 10 प्रतिशत मामलों में 26-44 वर्ष की उम्र समूह के लोग शामिल रहे। 18-25 वर्ष की उम्र समूह और 17 साल से कम उम्र के लोगों में एक-एक प्रतिशत मौत के मामले देखने को मिले।

विभिन्न उम्र समूहों में मृत्युदर के आंकड़े उपलब्ध कराते हुए उन्होंने कहा कि 60 साल और इससे अधिक की उम्र समूह में मौत के मामलों में 24.6 प्रतिशत लोगों को पहले से कोई ना कोई बीमारी थी, जबकि 4.8 प्रतिशत मामलों में लोगों को पहले से कोई बीमारी नहीं थी। उन्होंने बताया कि 45-60 वर्ष उम्र समूह के लोगों की मौत के मामले में 13.9 प्रतिशत रोगी पहले से किसी अन्य बीमारी से पीड़ित थे, जबकि 1.5 प्रतिशत लोग पहले से किसी अन्य बीमारी से पीड़ित नहीं थे।

45 साल से कम उम्र के रोगियों की मौत के मामले में 8.8 प्रतिशत लोगों को पहले से कोई ना कोई बीमारी थी, जबकि 0.2 प्रतिशत मामलों में लोगों को पहले से कोई बीमारी नहीं थी। उन्होंने बताया कि कुल मृत्युदर में पहले से किसी न किसी बीमारी से पीड़ित लोगों की मृत्युदर 17.9 प्रतिशत है और उन लोगों की मृत्युदर 1.2 प्रतिशत है जिन्हें पहले से कोई बीमारी नहीं थी।

राजेश भूषण ने कहा कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने की कुल, साप्ताहिक और प्रतिदिन की दर में कमी आई है। यह क्रमश: 8.07 प्रतिशत, 6.24 प्रतिशत तथा 5.16 प्रतिशत है।

सर्दियों को लेकर आगाह किया

संवाददाता सम्मेलन में मौजूद नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने लोगों से आग्रह किया कि वे सर्दी के दिनों में आगामी त्योहारों के दौरान मास्क पहनने और भौतिक दूरी बनाकर रखने जैसे कोविड-19 संबंधी दिशा-निर्देशों का उचित पालन करें। उन्होंने कहा कि संक्रमण के मामलों में स्थिरता आने की स्थिति में भी ढिलाई बरतने का कोई कारण नहीं है।
 

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