लाहौर। पाकिस्तान (Pakistan) के सिंध प्रांत में स्थित प्राचीन हिंगलाज माता मंदिर (Hinglaj Mata mandir) में शनिवार को कुछ उपद्रवियों ने माता की मूर्ति को खंडित कर दिया। ये मंदिर सिंध के थारपरकर इलाके में स्थित है। यह कृत्य अज्ञात व्यक्ति द्वारा किया गया बताया जा रहा है।
बता दें कि माता दुर्गा के कुल 51 शक्तिपीठ हैं। 51 में से 42 भारत में हैं और बाकी 1 तिब्बत, 1 श्रीलंका, 2 नेपाल, 4 बांग्लादेश और एक पाकिस्तान में है। इससे पहले अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में ही पाकिस्तान के सिंध में एक और मंदिर में तोड़फोड़ की गई थी। ये तोड़फोड़ सिंध के बदीन जिले के कड़ियू घनौर शहर में शनिवार सुबह राम पीर मंदिर में ये तोड़फोड़ की गई थी।
बता दें कि थारपारकर जिला जैन और हिंदू प्रभाव वाली अपनी समृद्ध ऐतिहासिक विरासत के लिए जाना जाता है। वहां ऐतिहासिक चूडियों जबल दुर्गा माता मंदिर भी है। अतीत में इस जगह पर जैन धर्म के लोग बड़ी संख्या में रहते थे। वहां पर कई मशहूर जैन मंदिर भी हैं। नगरपारकर तहसील की आबादी डेढ़ लाख से ज्यादा है और वहां पर हिंदू बहुसंख्यक हैं जिनकी आबादी करीब 90 हजार है।
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में है मां हिंगलाज शक्तीपीठ
51 में से एक शक्तिपीठ बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है। जहां दर्शन मात्र से ही सभी पापों का अंत हो जाता है। ये मंदिर सुरम्य पहाड़ियों की तलहटी में एक प्रकृतिक गुफा में बना है। इतिहास में उल्लेख है कि सुरम्य पहाड़ियों की तलहटी में स्थित यह गुफा मंदिर लगभग 2000 साल पुराना है। यहां इंसान की बनाई हुई कोई प्रतीमा नहीं है बल्कि एक मिट्टी की वेदी बनी है जहां एक छोटे आकार की शिला को हिंगलाज माता के रूप में पूजा जाता है।
माता के चमत्कार से हवा में लटकते पाए गए
कहते हैं जब पाकिस्तान का जन्म नहीं हुआ था तो उस समय भारत की पश्चिमी सीमा अफगानिस्तान और ईरान से जुड़ती थी। तब से बलूचिस्तान के मुसलमान हिंगलाज देवी की पूजा करते थे। उन्हें ‘नानी’ कहकर मुसलमान लाल कपड़ा, अगरबत्ती, मोमबत्ती, इत्र और सिरनी चढ़ाते थे। तालिबानी कहर और धार्मिक कट्टरवाद के कारण इस मंदिर पर कई हमले भी हुए, लेकिन स्थानीय हिंदू और मुसलमानों ने मिलकर इस मंदिर को बचाया। कहा जाता है कि आतंकवादियों ने जब इस मंदिर को क्षति पहुंचाने का प्रयास किया, तो वे माता के चमत्कार से हवा में लटकते पाए गए।
ज़ी न्यूज से साभार