प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चेतावनी- लॉकडाउन खत्म हुआ है, कोरोना नहीं- को हल्के में लेना कुछ स्थानों पर भारी पड़ता दिख रहा है।  हालांकि देश में संक्रमण के कुल मामलों में कमी आयी है पर कुछ स्थानों पर फिर से संक्रमितों की संख्या बढ़ना चिंता की बात है। इस त्योहारी सीजन में कोरोना वायरस की दूसरी लहर को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देशवासियों को “जब तक दवाई नही, तब तक ढिलाई नहीं” का संदेश दे रहे हैं। वह मास्क पहनने एवं एवं दो गज की दूरी का कड़ाई से पालन करने को भी कह रहे हैं। लेकिन, अंततः एक जिम्मेदार नागरिक को तौर पर हमें ही यह सुनिश्चित करना होगा कि कोरोना संक्रमण को मामले न बढ़ने पायें, हम भी सुरक्षित रहें और हमारा परिवार भी। सरकार तो अपनी तरफ से प्रयास कर ही रही है। वह सर्दी के इस मौसम में सावधानी बरतने और गाइडलाइंस के पालन पर जोर दे रही है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय 31 अक्टूबर तक के लिए घोषित किए गए अनलॉक 5 की गाइडलाइंस को 30 नवंबर 2020 तक बढ़ा चुका है। यानी तमाम छूट जारी रहेंगी। साथ ही हमें भी समझना होगा कि ये सभी छूट तभी तक हैं, जब तक हम समझदारी का परिचय देते रहेंगे। लापरवाही अंततः अन्य मामलों की तरह कोरोना के मामले में भी घातक ही सिद्ध होनी है।

लापरवाही किस तरह घातक साबित हो रही है, इसके लिए यूरोप का उदाहरण पर्याप्त है जहां फ्रांस सहित कई देशों ने पुनः लॉकडाउन लागू करना शुरू कर दिया है। फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अपने देश में दूसरे राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा कर दी है जो अब 30 नवंबर 2020 तक लागू रहेगा। मैक्रों ने घोषणा की है कि लोगों को केवल ज़रूरी कामों या स्वास्थ्य कारणों से ही घर छोड़ने की इजाज़त होगी। रेस्तरां और बार जैसे व्यवसाय बंद रहेंगे। हालांकि स्कूल और फ़ैक्ट्रियां खुली रहेंगी। कोविड-19 के कारण होने वाली मौतों का फ़्रांस में आंकड़ा अप्रैल के बाद से सबसे उच्च स्तर पर बताया जा रहा है।

हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि भारत में कोविड-19 की वैक्सीन के तीसरे चरण का काम चल रहा है। हालांकि एक वैक्सीन में आयी समस्या के चलते टीके की गुणवत्ता को लेकर भी सवाल उठे हैं। आसीएमआर के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव के अनुसार, कई वैक्सीन पर काम चल रहा है। वैक्सीन कब तक आम आदमी को उपलब्ध होगी, इसे लेकर फिलहाल पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। वैसे, भारत में मार्च (2021) के बाद कोरोना की वैक्सीन आने की संभावना जताई जा रही है। विश्व स्तर पर कोविड-19 की 12 में से 6 वैक्सीन के बेअसर होने की चर्चा है के बीच लंदन में अगले माह वैक्सीन देने का दावा किया जा रहा है।

अच्छी बात यह है कि भारत में वैक्सीन आने कि इंतजार में समय नष्ट करने के बजाय राज्य स्तर पर वैक्सीन के लिए कोल्ड चैन बनाने से लेकर राज्यवार वितरण और टीकाकरण की योजना पर केंद्र सरकार की निगरानी में तेजी से कम हो रहा है।

दुनियाभर में करीब 12 लाख लोगों की मौत

जान हापकिंस यूनीवर्सिटी के विज्ञान एवं इंजीनियरिंग सेंटर के अनुसार, दुनिया में अब तक 4.39 करोड़ लोग कोरोना संक्रिमित हुए, जिनमें से 11. 66  लाख लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में अब तक 81 लाख से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं, जिनमें से 76 लाख से अधिक स्वस्थ हो चुके हैं। भारत में कोरोना मरीजो का रिकवरी रेट 91.15%  है जबकि अब तक 1.21 लाख लोगो की कोरोना संक्रमण की वजह से मौत हो चुकी है। देश में महामारी शुरू होने के 7 महीने बाद मौत की दर 1.50% है, जो अन्य देशों की तुलना में काफी कम है। देश में कोरोना की आरटीपीसीआर की जांच का शुल्क अब 600 रुपये होगा जो अभी तक 1500  रुपये था। सरकारी अस्पतालों में जांच निशुल्क होती है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के अनुसार, अब तक लगभग 10 करोड़ 35 लाख कोरोना टेस्ट किए जा चुके हैं।   

उत्तर प्रदेश में विशेष जांच अभियान

उत्तर प्रदेश में सर्दी और त्योहार के इस मौसम में कोरोना की दूसरी लहर रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग को पूरे प्रदेश में 15 दिन का विशेष फोकस सेम्पलिंग अभियान शुरू कर दिया है जिसमें रोजाना 30% आरटीपीसीआर एवं 50% एंटीजन टेस्ट होंगे। धार्मिक स्थलों, ब्यूटी पार्लर, मेहंदी लगाने के स्थान, चूड़ी वाले बाजार, माल और  इलेक्ट्रॉनिक आइटम के बाजार पर इस दौरान फोकस रहेगा।

निर्भय सक्सेना
(लेखक उपजा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं)
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