लखनऊ। उत्तर प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बहुप्रतीक्षित फैसला सुना दिया। अदालत ने इस मामले के संबंध में यूपी शिक्षामित्र एसोसिएशन द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया। शीर्ष अदालत ने शिक्षामित्रों को संबंधित परीक्षाओं में भाग लेने का एक अंतिम मौका दिया है।
देश की सबसे बड़ी अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ शिक्षामित्रों की अपील को खारिज करने के साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले पर मुहर लगाई और बढ़े हुए कटऑफ को अनुमति दे दी। अदालत ने राज्य सरकार के इस वक्तव्य को रिकॉर्ड पर लिया कि नए कटऑफ की वजह से नौकरी से वंचित रह गए शिक्षामित्रों को अगले साल एक और मौका दिया जाएगा। इस फैसले से अब कुल 67867 अभ्यर्थियों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। इनमें से 31,661 पदों पर अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जा चुकी है। अब बचे हुए 37 हजार से अधिक पदों पर भर्ती जल्द हो सकेगी।
सहायक शिक्षक भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 24 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। दरअसल, सहायक शिक्षक भर्ती में जारी कट ऑफ मार्क्स को लेकर शिक्षामित्रों ने विरोध किया था, जिसके बाद उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी। योगी आदित्यनाथ सरकार के 31,661 पदों को भरने के आदेश को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
दरअसल, शिक्षामित्र कट ऑफ अंकों को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए थे। रामशरण मौर्य बनाम राज्य सरकार मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के पक्ष में (65/60 कट ऑफ) फैसला सुनाया था। इसके विरोध में शिक्षामित्र सुप्रीम कोर्ट चले गए और पिछली भर्ती की तरह 45/40 कट ऑफ करने की मांग कर रहे थे। शिक्षामित्रों का दावा किया था कि शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में लगभग 45 हजार शिक्षामित्रों ने फार्म भरा था। उत्तरमाला के मुताबिक 45/40 अंकों पर 37 हजार से ज्यादा शिक्षामित्र पास हो रहे हैं, जबकि परीक्षा नियामक प्राधिकारी के मुताबिक 45/40 कट ऑफ पर केवल 8018 शिक्षामित्र पास हुए हैं।