लखनऊ। उत्तर प्रदेश में वक्फ की संपत्तियों की धांधली के मामले में उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) का शिकंजा कस गया है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने उनके खिलाफ दो अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए हैं।
सीबीआइ लखनऊ की एंटी करेप्शन ब्रांच ने प्रयागराज की शहर कोतवाली और लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में वसीम रिजवी समेत अन्य के विरुद्ध दर्ज कराए मुकदमों को अपने केस का आधार बनाया है। दोनों एफआईआर में शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी के अलावा लाभ पाने वाले नरेश कृष्ण सोमानी, विजय कृष्ण सोमानी, वक्फ बोर्ड के प्रशासनिक अधिकारी गुलाम सैयद रिजवी और निरीक्षक बाकर रजा को आरोपित बनाया गया है।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 11 अक्टूबर 2019 को इन दोनों मामलों में सीबीआइ जांच की सिफारिश की थी। सीबीआइ अब शिया वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में धांधली की सिलसिलेवार जांच शुरू करेगी।
वसीम रिजवी के विरुद्ध प्रयागराज में 26 अगस्त 2016 को वक्फ संपत्ति पर अवैध दुकानों का निर्माण कराने तथा 27 मार्च 2017 को लखन की हजरतगंज कोतवाली में कानपुर की एक संपत्ति को लेकर धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। वक्फ संपत्तियों की खरीद-फरोख्त में घोटालों के गंभीर आरोपों के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे मामले की सीबीआइ जांच कराने का निर्णय किया था।