मुंबई। किसी भी समय रियल-टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) के माध्यम से रुपये ट्रांसफर करने की सुविधा अगले कुछ दिनों में शुरू हो जाएगी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई, RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में कहा, “आरटीजीएस सिस्टम को अगले कुछ दिनों में 24X7 बनाया जाएगा।” 

आरटीजीएस सिस्टम मुख्य रूप से ज्यादा पैसे के लेनदेन के लिए है। यह रियल टाइम के आधार पर होता है। RTGS के माध्यम से भेजी जाने वाली न्यूनतम राशि 2 लाख रुपये है, जिसकी कोई अधिकतम सीमा नहीं है। इस ट्रांसफर में लाभार्थी बैंक से लेनदेन करने पर तुरंत पैसे ट्रांसफर करने का निर्देश प्राप्त होता है और रुपये तुरंत पहुंच जाते हैं। मौजूदा समय में RTGS ग्राहकों के लिए हर महीने के दूसरे और चौथे शनिवार को छोड़कर, सप्ताह के सभी कार्य दिवसों में सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक उपलब्ध है।

सुरक्षित तरीके से डिजिटल भुगतान को अपनाने के बारे में उन्होंने कहा कि 1 जनवरी से कार्ड और यूपीआई के माध्यम से लेनदेन को 2,000 रुपये से बढ़ाकर 5,000 रुपये तक लेनदेन किया जा सकता है।

रिजर्व बैंक का कहना है कि कोरोना महामारी के समय में कॉनटेक्टलेस पेमेंट (contactless payments) बहुत अहम है। इससे पेमेंटे सुरक्षित भी रहता है। रिजर्व बैंक के इस प्रस्ताव का स्वागत किया गया है। संबंधित पक्षों का कहना है कि इससे डिजिटल ट्रांजेक्शन आएगी। साथ ही ग्राहकों को आसानी भी होगी। Visa कार्ड के भारत और साउथ एशिया के ग्रुप कंट्री मैनेजर टीआर रामचंद्रन ने कहा कि कोरोना महामारी के आने के बाद लोग कैश की जगह डिजिटल पेमेंट को प्रेफर कर रहे हैं। रोजाना खरीदारी के लिए ग्राहक कॉन्टैक्टलेस पेमेंट को स्वीकार कर रहे हैं। ऐसे में लिमिट बढ़ाने से इस प्रक्रिया में तेजी आएगी। NPCI के प्रबंध निदेशक और सीईओ दिलीप अस्बे का कहना है यह एक स्वागत योग्य फैसला है। इससे एवरेज ट्रांजैक्शन वैल्यू में भी उछाल आएगा और ज्यादा लोग डिजिटल पेमेंट को स्वीकार करेंगे। इस तरह के फैसले से हम कैशलेस इकॉनमी की तरफ तेजी से आगे बढ़ेंगे। 

क्या होता है कॉन्टैक्टलेस ट्रांजैक्शन?

इस टेक्नॉलजी की मदद से कार्ड होल्डर को ट्रांजैक्शन के लिए स्वाइप करने की जरूरत नहीं होती है। पॉइंट ऑफ सेल (POS) मशीन से कार्ड को सटाने पर भुगतान हो जाता है। एक दिन में पांच कॉन्टैक्टलेस ट्रांजैक्शन किए जा सकते हैं। वर्तमान में एक ट्रांजैक्शन की लिमिट 2000 रुपये है, जिसे बढ़ाकर 5000 किया जाना है। इसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) टेक्नॉलजी का इस्तेमाल किया जाता है। जुलाई 2019 से भारतीय रिजर्व बैंक ने देश में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से NEFT और RTGS के माध्यम से लेनदेन पर शुल्क लगाना बंद कर दिया है।

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