मेलबर्न। ऑस्ट्रेलिया में विकसित कोरोना वायरस वैक्सीन (COVID-19 vaccine) के क्लिनिकल ट्रायल को रोक दिया गया है। दरअसल, इस ट्रायल में शामिल स्वयंसेवकों/प्रतिभागियों के एचआइवी (HIV) टेस्ट रिजल्ट के पॉजिटिव पाए जाने के बाद यह कदम उठाया गया। वैक्सीन विकसित करने वाले शोधकर्ताओं ने शुक्रवार को जानकारी दी कि ट्रायल में शामिल कुछ प्रतिभागियों में एचाईवी के लक्षण दिखने लगे जबकि उनके ब्लड सैंपल में इसके वायरस नहीं पाए गए।
इस कोविड-19 वैक्सीन को क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी और बायोटेक फर्म सीएसएल (CSL) द्वारा विकसित किया जा रहा है। ऑस्ट्रेलियाई स्टॉक एक्सचेंज को यूनिवर्सिटी की ओर से जारी बयान में यह बताया गया कि कोविड-19 वैक्सीन का ट्रायल अभी रोक दिया गया है। यह वैक्सीन उन चार वैक्सीन कैंडिडेट में से एक है जिसको ऑस्ट्रेलिया सरकार खरीदने की तैयारी कर रही थी और इसलिए 51 मिलियन डोज भी ऑर्डर कर दिया था।
सीएसएल ने वैक्सीन के सुरक्षित होने पर जोर देते हुए कहा, “ट्रायल की शुरुआत से पहले ही इसके क्रॉस रिएक्शन को लेकर बात कर ली गई थी।“ अपने बयान में सीएसएल ने कहा कि ट्रायल में शामिल 216 प्रतिभागियों पर गंभीर तौर पर विपरीत असर नहीं हुआ और वैक्सीन के पूरी तरह सुरक्षित होने की गारंटी भी मिल गई। वहीं ट्रायल डाटा में खुलासा हुआ कि वैक्सीन के बाद जो एंटीबडीज आए वे एचआईवी डायग्नोसिस में बाधक बन रहे हैं और इसके कारण कुछ एचआईवी टेस्ट फॉल्स पॉजिटिव पाए गए। यदि देश भर में वैक्सीन लॉन्च कर दिया गया तो यह ऑस्ट्रेलिया में सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरे में डाल सकती है। सीएसएल ने आगे बताया, “इसके बाद हुए टेस्ट में यह पुष्टि हुई कि एचआईवी वायरस की मौजूदगी नहीं थी केवल कुछ एचआईवी टेस्ट के रिजल्ट फॉल्स पॉजिटिव पाए गए थे।”
सीएसएल ने यह भी बताया कि प्रतिभागियों को यह बता दिया गया था कि ट्रायल के दौरान एचआईवी डाग्नॉस्टिक टेस्ट में वैक्सीन की वजह से कुछ दिक्कतें आ सकती हैं।
इस वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल इस साल जुलाई से ब्रिसबेन में शुरू हुआ और इसमें 120 वॉलंटियर्स थे। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया में अब तक कोरोनावायरस संक्रमण के कुल 28,011 मामले मिले हैं और 908 लोगों की मौत हो चुकी है।