नई दिल्ली। गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत के बाद चर्चा में चल रहे डॉ. कफील खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट से भी राहत मिल गई है। अलीगढ़ में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन में भड़काऊ भाषण देने के मामले में उनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका, NSA) के तहत कार्रवाई की गई थी, जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए डॉ. कफील खान को बड़ी राहत दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टर कफील खान के खिलाफ रासुका की धाराएं हटाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका गुरुवार को खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी आपराधिक मामलों को प्रभावित नहीं करेगी। डॉक्टर कफील खान के खिलाफ दर्ज मामले का निपटारा मेरिट के आधार पर ही होगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीती एक सितंबर को डॉ. कफील खान को तुरंत रिहा करने के आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि रासुका के तहत डॉक्टर कफील को हिरासत में लेना और हिरासत की अवधि को बढ़ाना गैरकानूनी है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद दो सितंबर को डॉक्टर कफील खान को मथुरा जेल से रिहा कर दिया गया था। साथ ही हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी।
डॉ कफील खान को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी प्रांगण में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें मथुरा जेल भेजा गया था। फरवरी में उन्हें अदालत से जमानत मिल गयी थी, मगर जेल से रिहा होने से पहले 13 फरवरी को उन पर रासुका के तहत कार्रवाई कर दी गई। डॉ कफील की रासुका अवधि छह मई को तीन माह के लिए और बढ़ाई गई। इसके बाद अलीगढ़ जिला प्रशासन की सिफारिश पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने उनकी रासुका की अवधि तीन माह के लिए और बढ़ा दी थी।