त्रकार भगवत सरन ने लखनऊ में जब 1966 में जब राष्ट्रवादी पत्रकारो को जोड़कर उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट एसोसिएशन (उपजा) का गठन किया था तो उन्होंने एवं अन्य पत्रकारो ने नहीं सोचा होगा कि उपजा के 50 साल होने पर उनके संगठन की कुछ लोग दुर्गति भी कर सकते है। पर बड़ौत के रमेश जैन ने अपने पत्रकार साथियो के दम पर उपजा को जेबी संगठन बनाने वालों के मंसूबों को ध्वस्त कर उपजा का गौरव कायम रखा।             

रमेश चंद जैन जी के बारे में मुझे अनिल माहेश्वरी ने बताया था कि खजांची का बेटा रमेश काफी जुझारू है। उनसे पहली बातचीत फ़ोन पर वर्ष 2013 में फोन पर हुई थी। उन्होंने बताया था कि में यू. पी. जर्नलिस्ट्स ऐसोसिएशन (उपजा) के द्विवार्षिक चुनाव में प्रान्तीय महामन्त्री पद पर उम्मीदवार हूँ और मुझे आपसे वोट एवम सपोर्ट  चाहिए । बरेली के  ही जनार्दन आचार्य से बात कर हम दोनों ने संयुक्त रूप से रमेश जेन को जिताने को कमर कसी।

इलाहाबाद में वर्ष 2013 में उपजा के द्विवार्षिक अधिवेशन  में हुए चुनाव में प्रदेश भर के जिलों से पँहुचे डेलीगेट्स ने रमेश जेन के पक्ष में मतदान किया। दूसरे गुट के समर्थक कथित दलाल पत्रकार ने गोली भी चलाई जिसे पुलिस ने गिराकर पीटा और जेल भी भेजा। अंततः  रमेश जैन को महामंत्री पद पर विजय श्री हासिल हुई। में भी प्रान्तीय उपाध्यक्ष पद चुना गया। उसके बाद घनिष्ठता बढ़ी। और पत्रकार हित के लिए एक नीति बनाई। लखनऊ के उपजा जिलाध्यक्ष अरविंद शुक्ला  के सहयोग से पत्रकार हित में अनेक कार्यक्रम समय समय पर किये गए तथा अनेक मांग पत्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, राज्यपाल से लेकर प्रधानमंत्री, प्रदेश सूचना विभाग के अधिकारियों  को भेजे गए।

महामंत्री जेन, अरुण जायसवाल के  प्रयासों से बरेली में उपजा की दो दिवसीय प्रदेश सम्मेलन/ कार्यकारिणी का आयोजन बरेली उपजा जिलाध्यक्ष पवन सक्सेना, जनार्दन आचार्य, दिनेश पवन, महेश पटेल, सुभाष चौधरी, फिरासत हुसेन, फहीम करार, कृष्ण राज आदि द्वारा किया गया। इस अवसर पर एक स्मारिका का भी प्रकाशन हुआ। जिसमे 16 मार्च 1966 में स्थापित उपजा के अधिकृत इतिहास को भी सभी से जानकारी जुटाकर छापा गया।

उपजा के संस्थापक महामन्त्री भगवत शरण जी के विषय में रमेश जेन ने मुझे साथ लेकर अलीगंज लखनऊ मे काफी पूछताछ की। आखिरकार उन्हें तलाश ही लिया। उनके साथ सेल्फी भी ली। हम लोगो ने उनके चरणस्पर्श कर आशीर्वाद भी प्राप्त किया। उपजा के पूर्व पदाधिकारियों (अज्ञात) जैसे गुरुदेव नारायण, राजेन्द्र द्विवेदी आदि से सम्पर्क कर उपजा के वर्तमान स्वरूप की चर्चा कर मार्गदर्शन करने का अनुरोध किया। बड़ौत में नवभारत टाइम्स के संवाददाता रहे रमेश जी 31 अगस्त 1949 को जन्मे रमेश जैन आज भी 70 वर्ष की उम्र में कर्मठ है। वह अकेले ही सूचना विभाग में जाकर पत्रकारो की समस्या को पत्र देते है। उसका फ़ालोआप भी करते है। कोई परिस्थिति उत्पन्न हो उनके चेहरे पर शिकन नही पड़ती है। पत्रकारो की सम्मान की लड़ाई अपनी ही मान कर आगे की पंक्ति में रहकर संघर्षरत रहते है।

एक बार प्रदेश उपजा एवं लखनऊ जिला उपजा द्वारा मई दिवस 2016 के अवसर पर प्रदेश पर सपा नेता मुलायम सिंह की छोटी बहू अपर्णा यादव, मधुकर जेटली का अभिनंदन कर सम्मानित किया। बरेली, बहराइच, रायबरेली का सम्मेलन हो या बनारस का। रमेश जैन ने हमेशा प्रदेश की सभी इकाइयों की सूचना से प्रचार सामग्री आदि के लिए आगे आकर सहायता की। 

कोटा, चित्तोड़, ओंकारेश्वर कही भी सम्मेलन हो प्रदेश एवम मित्र  को कमरे से लेकर सभी सुविधाओं की रमेश जी जब तक व्यवस्था नहीं कर देते उन्हें चेन नही पड़ता । मजीठिया वेज बोर्ड लागू करवाने के लिए बने कन्फेडरेशन का दो दिवसीय कार्यक्रम लखनऊ के गोमती होटल तथा विश्वरैया हाल में बढ़चढ़ कर भाग ही नही लिया अपितु अपनी बात को भी प्रमुखता से रखा।  वरिष्ठ पत्रकारों राजेन्द्र प्रभु और नंदकिशोर त्रिखा (दोनों  नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट नेता) की पूरी देखभाल की।

 10 अक्टूबर 2019 को कन्फेडरेशन (पत्रकार यूनियनों के समूह) द्वारा जन्तर मन्तर पर किये गये धरना- प्रदर्शन में प्रदेश के लोगो को फ़ोन कर  ट्रैन की जानकारी दी। और सभी से फोन से लगातार संपर्क भी बनाये रखा।

प्रयागराज कुम्भ 2019 में उपजा के दल बल के साथ वह शामिल हुए। सूचना विभाग से सभी की व्यवस्था भी कराई।

रमेश जैन ने केंद्रीय स्तर पर मजीठिया वेज बोर्ड लागू करना, पत्रकार सुरक्षा कानून बनाकर लागू करना, प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के संरक्षण के लिए प्रेस कौंसिल की बजाय मीडिया कौंसिल का गठन किया जाना, प्रेस आयोग का पुनर्गठन किया जाना आदि के लिए भी  प्रधानमन्त्री से राष्ट्रपति को अनेक पत्र लिखे।

उत्तर प्रदेश में राज्य स्तर पर पत्रकार सुरक्षा कानून बनाए जाने, सभी पत्रकारों को चिकित्सा सुविधा कार्ड देने, सेवा निर्वत वरिष्ठ पत्रकारों को पेंशन शुरू  करने आदि मांगो को लेकर केंद्रीय श्रम मंत्री से मुख्यमंत्री और राज्यपाल को अनगिनत पत्र भेजे। उनका यह क्रम आज भी जारी है। रमेश जैन एक बार जिसके साथ हो गए अपनी तरफ से साथ छोड़ने वाले नही है। फोन पर हमेशा बात कर हाल चाल पूछते है। फोन पर इतनी लंबी वार्ता करते है कि लोग उनकी बात समझ जायें। किसी पद प्रतिष्ठा का प्रलोभन आदि भी उन्हें डिगा नही सकता। लखनऊ में हम दोनों के बीच कई बार गरमागरम बहस भी हुई। में रूठा भी पर उन्होंने अपनी बात तार्किक ढंग से समझा कर मुझे मनाया भी। जहां उनकी गलती थी उसे मान कर संबंधित व्यक्ति से माफी भी मांगी।  हमारे बीच मैं कई बार कुछ मुद्दों पर मतभेद भी हुआ पर मनभेद कभी नही हुआ। कई लोगो ने अलगाव पैदा करने की अनेक बार कोशिश की । उनके बारे में कहा कि वह मनमानी करते है। पर सच यह है कि रमेश जेन सभी से सलाह मशविरा कर ही कोई काम करते है। अपने ख़र्चे पर हफ़्तों लखनऊ में रुककर उपजा के कानूनी झंझट निपटाते रहे और सफलता भी पाई।  अब हम भी उन्हें लगभग 8 वर्ष से काफी कुछ जान गए कि दिल के साफ रमेश जी केवल पत्रकार हित मे ही लगे रहते है।रमेश चन्द जैन द्वारा ‘नवभारत टाइम्स’ में काम करने के दौरान अनेक ऐतिहासिक कार्य भी संपादित कराये गए।

स्मरण रहे जब कोई  नेता, दलित या राजनीतिक व्यक्ति जब हादसे का शिकार हो जाता था। सरकार तुरन्त आर्थिक सहायता के लिए खजाने का मुंह खोल देती थी लेकिन पत्रकारों के लिए रंच मात्र भी कुछ भी नही मिलता था। ऐसी विषम स्थिति में रमेश चंद जैन के प्रयासों से मेरठ जनपद में हत्या के शिकार दो पत्रकारों के परिजनों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराकर  उत्तर प्रदेश में प्रथम बार शुरुआत कराई। यह शुभ कार्य तत्कालीन मुख्य मन्त्री मुलायम सिंह यादव और श्री सत्यपाल मलिक (वर्तमान राज्यपाल) के द्वारा शुरू हुआ था।

1993 में मेरठ जनपद में जब दो पत्रकारों की हत्या हुई। अमर उजाला के रमाला प्रतिनिधि डा. धर्मवीर सिंह मान और दूसरे दैनिक जागरण के सरधना प्रतिनिधी सुनील जैन को गोलियों से भून दिया गया था। रमेश जैन के प्रयासों से मृतक पत्रकारों के परिजनों को अबसे 27 वर्ष पूर्व एक एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता उत्तर प्रदेश सरकार ने मुहैया कराई थी।

वर्ष 1994 में दिगम्बर जैन इंटर कालेज के इंटरमीडिएट विज्ञान के  115 छात्रों को यू.पी. बोर्ड द्वारा परीक्षा में नकल के आरोप में 2 साल के लिए विदहैल्ड/रेस्टीकेट कर दिया गया था। छात्रों के समूह के अनुरोध पर पत्रकार रमेश जैन द्वारा लखनऊ में मंत्रियों से लेकर निदेशक तथा इलाहाबाद में बोर्ड सचिव से सम्पर्क कर 115 छात्रों की ठोस पैरवी करके सभी छात्रों को आरोप से अवमुक्त कराकर उनका रिजल्ट और उत्तीर्ण की मार्कशीट जारी कराई थी। यू.पी. बोर्ड के इतिहास में 115 छात्रों को विदहैल्ड/रेस्टिकेशन से प्रथम बार/आखिरी बार अवमुक्त किया जाना एक नजीर बन गया।

सभी जानते है कि उपजा की प्रदेश कार्यकारिणी मे राज्य मुख्यालय लखनऊ का बर्चस्व रहता था। मुख्य पदाधिकारियों में कभी जिलों को अवसर नही दिया जाता था। 2013 में रमेश जैन ने “उपजा का उत्थान- वरिष्ठजनों का सम्मान-जिलों की सहभागिता” को लेकर चुनाव लड़ा। जिसमे सभी ने भरपूर सहयोग किया। परिणामस्वरूप प्रदेश कार्यकारिणी में लखनऊ के  परंपरागत बर्चस्व का मिथक टूट गया। तीनो मुख्य पदों पर जिलों के प्रतिनिधियों लने विजयश्री हासिल की।

2013 से अभी तक कई चुनाव हो चुके है लेकिन जिलों का प्रतिनिधित्व आज भी कायम है। उपजा की विकास यात्रा उन्होंने कई चरणों मे लिखी। जिद कर उन्होंने मुझे भी टच मोबाइल खरीदने पर फोन कर करके बाध्य कर दिया ताकि में भी रोमन की जगह हिंदी में मैटर लिख सकूं। झूठा व्यक्ति उनके पास नही टिकता इसीलिए उपजा के कई कथित स्वयम्भू नेता आज भी हाशिये पर ही पड़े हैं। उनके संपर्क में यदि एकबार कोई आया तो वह उन्हें भुला नही सकता। अब लगभग 70 वर्ष की उम्र रमेश जी बताते है कि उनका परिवार धर्म-कर्म में भी हमेशा आगे रहा। बड़ौत के जैन मंदिर को उनकी पत्नी श्रीमती कनक लता जैन ने 21 तोला सोना की तीर्थंकर भगवान की मूर्ति को दान किया। 22 जून 2014 को पत्नी कनक लता जी के बिछोह के बाद भी वह अभी भी अपने जैन गुरु से मिलने साल में एक बार अपने 4 पुत्रों एवं परिवार सहित जाते है। उनके सभी पुत्र सम्पन्न हैं और पने-अपने परिवार के साथ मेरठ, नोयडा में रहते है। पर रमेश जैन जी बड़ौत में ही एक बेटे के पास रहते है। में तो उन्हें वर्तमान उपजा का भीष्म पितामह या नींव की शिला ही मानता हूं।

निर्भय सक्सेना

(लेखक उपजा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं)

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