नई दिल्ली। देश में रोजाना आने वाले कोरोना वायरस संक्रमण के नए मामलों में भारी गिरावट के बीच केंद्र सरकार वैक्सीनेशन को लेकर एक्शन मोड में आ गई है। नए साल के दूसरे ही दिन टीकाकरण के फाइनल रिहर्सल(Final dry run) के कुछ दिनों बाद टीकाकरण अभियान शुरू हो सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को जानकारी दी कि सरकार ने टीकाकरण में इस्तेमाल होने वाली 83 करोड़ सीरिंज की खरीद के लिए ऑर्डर दे दिया है। 

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 35 करोड़ से अधिक अतिरिक्त सीरिंज के लिए भी बोलियां आमंत्रित की गई हैं पिछले नौ महीनों में देश भर के सरकारी अस्पतालों में 36,433 वेंटिलेटर बांटे गए हैं, जिनकी लागत दो लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक है। फरवरी-मार्च में यह कीमत 15 लाख रुपये थी। मंत्रालय ने आगे कहा, “यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि देश की स्वतंत्रता से पूर्व कोरोना समय तक, देश में सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में लगभग 16,000 वेंटिलेटर थे, लेकिन 12 महीने से भी कम समय में 36,433 मेक इन इंडिया वेंटिलेटर्स की आपूर्ति की गई है।”

सरकार ने यह भी बताया है कि देश में महामारी की शुरुआत में, लगभग सभी वेंटिलेटर, पीपीई किट और एन -95 मास्क इम्पोर्ट किए गए थे और इन उत्पादों के लिए कोई मानक निर्देश नहीं थे जो महामारी के खिलाफ लड़ाई में आवश्यक हैं। उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार ने महामारी की प्रारंभिक अवस्था में आने वाली चुनौतियों की पहचान की और आवश्यक चिकित्सा वस्तुओं की पर्याप्त उपलब्धता और आपूर्ति से अधिक सुनिश्चित किया।”

पीपीई-किट बनाने वाला दूसरा देश बना भारत

स्वास्थ्य मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि पीपीई किट के निर्माण में मार्च के बाद काफी बढ़ोतरी हुई है। भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा पीपीई किट्स बनाने वाला देश बन गया है। देश में रोजाना दस लाख से ज्यादा पीपीई किट्स बनाईं जा रही हैं। उन्होंने बयान में कहा, ”अभी देश में 1700 के करीब मैन्युफैकचर्स और सप्लायर्स हैं। लगभग 170 लाख पीपीई किट्स को फ्री में बांटा गया है। वहीं, केंद्र और राज्य सरकारों के पास उपलब्ध पीपीई किट का बफर स्टॉक मार्च के 2 लाख की तुलना से बढ़कर 89 लाख हो गया है। वहीं, नौ महीनों में औसत कीमत लगभग 600 रुपये से घटकर लगभग 200 रुपये प्रति किट हो गई है।”

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