नई दिल्लीसुप्रीम कोर्ट ने भले ही तीनों नए केंद्रीय कृषि कानूनों पर मंगलवार को रोक लगा लगाने के साथ ही चार  सदस्यों की एक कमेटी का गठन कर दिया हो पर आंदोलनकारी किसानों के तेवर अब भी मामले को सुलझाने वाले नजर नहीं आ रहे। उनकी मांगों की सुई एक ही जगह आकर टिक गई लगती है। उनका कहना है कि ये कानून रद्द होने तक आंदोलन चलता रहेगा।

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के महासचिव राकेश टिकैत ने दो टूक कहा,  “कानून रद्द होने तक आंदोलन चलता रहेगा। किसान संगठन कोर्ट के आदेश का अध्ययन करेंगे, ताकि आगे की रणनीति तय की जा सक।” उन्होंने कहा, “अदालत की ओर से फैसला होने के बाद हम कोर कमेटी की बैठक बुलाएंगे और इस पर अपनी लीगल टीम के साथ चर्चा करेंगे। इसके बाद हमें क्या करना है, उसका फैसला करेंगे।”

भारतीय किसान यूनियन (दोआबा) के नेता मंजीत सिंह राय ने एक समाचार चैनल से कहा- हम लोग शुरू से ही समिति बनाने के पक्ष में नहीं हैं। सरकार ने हमें पहले भी समिति में आने के लिए कहा था लेकिन  हमने मना कर दिया था। हम सुप्रीम कोर्ट से कानूनों को रद्द करने का आदेश देने की मांग करते हैं।

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के महासचिव राकेश टिकैत ने दो टूक कहा,  “कानून रद्द होने तक आंदोलन चलता रहेगा। किसान संगठन कोर्ट के आदेश का अध्ययन करेंगे, ताकि आगे की रणनीति तय की जा सक।” उन्होंने कहा, “अदालत की ओर से फैसला होने के बाद हम कोर कमेटी की बैठक बुलाएंगे और इस पर अपनी लीगल टीम के साथ चर्चा करेंगे। इसके बाद हमें क्या करना है, उसका फैसला करेंगे।”

भारतीय किसान यूनियन (दोआबा) के नेता मंजीत सिंह राय ने एक समाचार चैनल से कहा- हम लोग शुरू से ही समिति बनाने के पक्ष में नहीं हैं। सरकार ने हमें पहले भी समिति में आने के लिए कहा था लेकिन  हमने मना कर दिया था। हम सुप्रीम कोर्ट से कानूनों को रद्द करने का आदेश देने की मांग करते हैं।

error: Content is protected !!