नई दिल्ली। 26 जनवरी 2021 को प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को पुलिस का मामला बताए जाने के बाद केंद्र सरकार ने इस मामले में हस्तक्षेप के अनुरोध वाली याचिका शीर्ष अदालत से वापस ले ली है। सुप्रीम कोर्ट ने 26 जनवरी की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को लेकर दायर याचिका पर कहा, “आप प्राधिकार हैं और आपको इससे निपटना है, इस पर आदेश पारित करना अदालत का काम नहीं है।” साथ ही कमेटी के दोबारा गठन को लेकर किसान महापंचायत द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है।
आठ किसान संगठनों की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को बताया कि किसान केवल बाहरी रिंग रोड पर शांतिपूर्ण तरीके से गणतंत्र दिवस मनाना चाहते हैं। उनका शांति को भंग करने का कोई इरादा नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट की समिति के सामने पेश नहीं होंगे किसान
किसानों की ओर से वकील प्रशांत भूषण और दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उसके द्वारा गठित कमेटी के सामने किसान पेश नहीं होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा पेश होना न होना उनकी मर्जी है लेकिन कमेटी के ऊपर कोई प्रश्नचिन्ह नहीं लगा सकते। यह कमेटी यथावत बनी रहेगी और तय समय पर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। प्रशांत भूषण ने कहा की किसान कृषि कानूनों में संशोधन नहीं बल्कि इन्हें रद्द कराना चाहते हैं। किसान अपनी मांग लोकतांत्रिक तरीके से उठा रहे हैं। गणतंत्र दिवस आउटर रिंग रोड पर शांतिपूर्ण ढंग से मनना चाहते हैं।
किसान नेता कलवंत सिंह संधू ने कहा है कि किसान संगठनों के नेता 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकालने के मुद्दे पर दिल्ली पुलिस के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात करेंगे।
गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में अपनी निर्धारित ट्रैक्टर रैली को लेकर अनिश्चितता की स्थिति के बीच, नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने मंगलवार को कहा था कि शांतिपूर्ण मार्च” की तैयारी पूरे जोरों पर है और वापस हटने का कोई सवाल ही नहीं है। अभी तक इस रैली को हालांकि आधिकारिक अनुमति नहीं मिली है। गौरतलब है कि किसान संगठनों ने घोषणा की है कि हजारों किसान 26 जनवरी को राष्ट्रीय राजधानी की आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर रैली निकालेंगे।
पंजाब के तरनतारन जिले के कुर्लाल सिंह ने कहा कहा कि हम अब तक शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करते आ रहे हैं और हमारी रैली भी अहिंसक होगी। दिल्ली में प्रवेश करना हमारा संवैधानिक अधिकार है। केंद्र सरकार और प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच भी नौ दौर की अलग से बात हुई थी। दिल्ली की सीमा पर हजारों की संख्या में किसान करीब दो महीने से नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।