बरेली। दरगाह-ए-आला हज़रत के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) ने मुसलमानों को वैलेंटाइन डे से दूर रहने को कहा है। भारत में पश्चिमी सभ्यता (मगरिबी कल्चर) के बढ़ते प्रभाव पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा, “वैलेंटाइन डे, रोज़ डे जैसी परंपराओं की  इस्लाम में कोई जगह नहीं हैं। आज का नौजवान मुसलमान इससे दूर रहे। मां-बाप और घर के बुज़ुर्ग बच्चों का खास ख्याल रखें।”

दरगाह के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने गुरुवार को बताया कि आज शहर के दौरे पर निकले सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने देशभर के उलेमा और इमामों से उनका पैगाम मस्जिदों, जलसों और महफ़िलों के जरिये लोगों में आम करने को कहा है।

अहसन मियां ने कहा कि अगर कोई डे मनाना है तो रोटी डे मनाएं, कपड़ा डे मनाएं ताकि हमारे समाज में साल के कोई भी डे में कोई भूखा न सोए और न ही कोई बिना कपड़ों के नंगा रहे। देखा यह जा रहा है हमारे समाज के नौजवान ऐसे डे जिनका ताल्लुक न ही हमारे मुल्क से है और न ही हमारे मज़हब से है, उसमें शामिल हैं।

सज्जादानशीन ने आगे कहा कि अल्लाह के रसूल ने निकाह को आसान करने का हुक़्म देते हुए फिज़ूलखर्ची से बचने का हुक्म दिया। मुसलमानों में बढ़ते दहेज़ के चलन पर भी हमे गौर-ओ-फिक्र करने की ज़रूरत है। कुछ लोगों ने इसको मुश्किल और महंगा बना दिया है जिसका बड़ा असर हमारे पर पड़ रहा है। मुसलमान अपनों बच्चों की शादी वक्त पर सुन्नत ए रसूल के मुताबिक करें, ताकि बच्चे कोई गलत कदम न उठाएं।

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