जम्मू। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से नाराज पार्टी के 23 वरिष्ठ नेताओं के समूह (ग्रुप-23) ने शनिवार को केसरिया पगड़ी पहन कड़ा संदेश दिया। कपिल सिब्बल ने साफ तौर पर कहा कि कांग्रेस कमजोर हो रही है। उन्होंने कहा, “सच्चाई यह है कि कांग्रेस पार्टी हमें कमजोर होती दिखाई दे रही है और इसलिए हम यहां इकट्ठा हुए हैं। हमें इकट्ठा होकर पार्टी को मजबूत करना है। गांधी जी सच्चाई के रास्ते पर चलते थे, ये सरकार झूठ के रास्ते पर चल रही है।” ग्रुप-23 के नेताओं ने पार्टी की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस के इन दिग्गज नेताओं का रुख पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी के लिए नई परेशानी खड़ा कर सकता है।
गौरतलब है कि इन नेताओं ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में पार्टी को चलाने के तौर-तरीकों पर सवाल उठाए थे। यही नेता आज शनिवार को यहां होकर अपनी ताकत दिखा रहे हैं। इस समूह में पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा, कपिल सिब्बल, राज बब्बर, विवेक तन्खा, गुलाम नबी आजाद शामिल हैं।
कांग्रेस में सभी धर्म, लोग और जाति का सम्मान : आजाद
पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस में सभी धर्म, लोग और जाति का सम्मान किया जाता है। यही हमारी पार्टी की ताकत है। उन्होंने कहा कि आज कई बरसों बाद हम राज्य का हिस्सा नहीं हैं, हमारी पहचान खत्म हो गई है। राज्य का दर्जा वापस पाने के लिए हमारी संसद के अंदर और बाहर लड़ाई जारी रहेगी। जब तब यहां चुने हुए नुमाइंदे मंत्री और मुख्यमंत्री नहीं होंगे बेरोजगारी, सड़कों और स्कूलों के ये हालत जारी रहेंगे। उन्होंने कहा, “मैं राज्यसभा से रिटायर हुआ हूं, राजनीति से रिटायर नहीं हुआ और मैं संसद से पहली बार रिटायर नहीं हुआ हूं।”
नेता वही बनते हैं जिनको लोग मानते हैं : आनंद शर्मा
वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने बिना नाम लिये नेतृत्व पर सवाल खड़े करते हुए कहा, ‘”मुझे यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है, कांग्रेस ओहदा दे सकती है पर नेता वही बनते हैं जिनको लोग मानते हैं।” गुलाम नबी आजाद के रिटायरमेंट पर उन्होंने कहा, “किसी को भी गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि ये कोई रिटायरमेंट है। ये कोई सरकारी नौकरी नहीं है। आजाद भारत में लेह और लद्दाख का विलय हुआ है और मैं आज भी नहीं मानता कि ये स्टेट नहीं है केंद्र शासित है। आनंद शर्मा ने कहा, “भारत एक नाम, एक विचारधारा पर नहीं चल सकता है।”
आजाद कांग्रेस को समझने वाले नेता : तिवारी
मनीष तिवारी ने कहा कि आजाद एक संकल्पित कांग्रेसी नेता हैं। आजाद उन नेताओं में से हैं जो कांग्रेस को समझते हैं। कांग्रेस और यह राष्ट्र दोनों को ही गुलाम नबी आजाद के मार्गदर्शन की जरूरत है। उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि किसी प्रदेश को बांटकर दो केंद्रशासित प्रदेश बना दिए गए हैं। जम्मू कश्मीर को बांट दिया गया और हम इसके लिए लड़ते रहेंगे।
राज बब्बर बोले- हम जी-23 नहीं, गांधी-23 हैं
राज बब्बर ने कहा, “लोग हमें जी-23 कहते हैं, लेकिन मैं इसे गांधी-23 कहता हूं। इस देश के कानून और संविधान को महात्मा गांधी की विचारधारा, संकल्प और सोच के मुताबिक बनाया गया था। कांग्रेस इसे पूरी ताकत से आगे ले जाने के लिए तैयार है। जी-23 चाहता है कि कांग्रेस मजबूत बने।”
सोनिया को चिट्ठी लिख सुधार की मांग की थी
पिछले साल अगस्त में सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में जी-23 नेताओं ने पार्टी में तुरंत सुधार करने की मांग की थी। इनमें जमीनी स्तर से लेकर कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) तक संगठन के चुनाव कराने की मांग की गई थी। आज एक बार फिर ये सभी नेता गांधी परिवार के खिलाफ एक साथ जमा हुए। इन नेताओं का विरोध गांधी परिवार के उन करीबी लोगों से भी है जो पार्टी संगठन और संसद में अहम पोजिशन पर बैठे हैं।
राहुल को संदेश- उत्तर से दक्षिण तक भारत एक
केरल में राहुल गांधी के नॉर्थ-साउथ वाले बयान के बाद कांग्रेस के उत्तर भारतीय नेता नाराज हैं। जी-23 से जुड़े एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “कांग्रेस पार्टी में इस समय जो कुछ चल रहा है, वह पिछले साल दिसंबर में हुई पार्टी की वर्किंग कमेटी के फैसले के एकदम उलट है। पार्टी में अब तक कोई चुनाव या सुधार नजर नहीं आए हैं।” एक अन्य नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “यह राहुल गांधी के लिए सीधा मैसेज है। हम देश को दिखाना चाहते हैं कि उत्तर से दक्षिण तक भारत एक है।”
गुलाम नबी के साथ गलत व्यवहार से भी नाराजगी
जी-23 से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि नेताओं में हाल ही में राज्यसभा से रिटायर हुए गुलाम नबी आजाद के साथ हुए सलूक को लेकर भी नाराजगी है। गुलाम नबी आजाद को कांग्रेस ने दूसरा मौका नहीं दिया था। ग्रुप से जुड़े एक नेता ने कहा, “जब दूसरी पार्टियों के नेता आजाद के लिए सीट छोड़ रहे थे, तब हमारी कांग्रेस पार्टी की लीडरशिप ने उनके प्रति कोई सम्मान नहीं दिखाया। उनकी जगह रॉबर्ट वाड्रा के केस लड़ने वाले वकील को राज्यसभा भेज दिया गया।”
राहुल के केरल में दिए इस बयान पर मचा था बवाल
राहुल गंधी ने बीते मंगलवार को तिरुवनंतपुरम में कहा था, “पहले 15 साल मैं उत्तर भारत से एक सांसद था। मुझे एक अलग प्रकार की राजनीति की आदत थी। मेरे लिए केरल आना बहुत रिफ्रेशिंग था क्योंकि मुझे अचानक पता चला कि यहां के लोग मुद्दों में रुचि रखते हैं और न केवल सतही रूप से बल्कि मुद्दों के बारे में विस्तार से जानकारी भी रखते हैं।”