नई दिल्ली। पेट्रोल और डीजल के लगातार बढ़ते दामों से परेशान लोगों को जल्द ही राहत मिलने की उम्मीद है। तेल में लगी “आग” के चलते आम आदमी से लेकर विपक्षी दलों के निशाने पर चल रहा केंद्रीय वित्त मंत्रालय पेट्रो पदार्थों पर टैक्स घटाने पर विचार कर रहा है, ताकि आम ग्राहकों पर बोझ घटाया जा सके। दरअसल ईंधन की बढ़ती कीमतों की वजह से आम जनता पर बोझ बढ़ रहा है। ऐसे में जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, वहां पेट्रोल,डीजल और रसोई गैस की बढ़ी कीमत बड़ा मुद्दा बन सकती है। यही कारण है कि वित्त मंत्रालय इन दोनों पर एक्साइज ड्यूटी घटाने की योजना बना रहा है। खबर है कि 15 मार्च तक टैक्स घटाने के बारे में फैसला लिया जा सकता है।

सूत्रों का कहना है कि वित्त मंत्रालय ने कुछ राज्यों, पेट्रोलियम मंत्रलय और तेल कंपनियों से बातचीत शुरू की है ताकि राजस्व पर बड़ा बोझ डाले बगैर ईंधन के दामों में कमी की जा सके। पिछले 10 महीनों में कच्चे तेल का दाम दोगुना हो गया है जिसका सीधा असर पेट्रोल-डीजल के भाव पर दिख रहा है। इसके अलावा पिछले एक वर्ष में सरकार पेट्रोल और डीजल पर दो बार टैक्स बढ़ा चुकी है।

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा उन करों का है जो केंद्र और राज्य सरकारें वसूलती हैं। भारत में करीब 36 रुपये लीटर की लागत में आने वाला पेट्रोल दिल्ली में 91 रुपये के आसपास बिक रहा है यानी इसके दाम में करीब 55 रुपये का टैक्स शामिल है।

सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सरकार उन तरीकों पर विचार कर रही हैं जिनसे कीमतों को स्थिर रखा जा सके। मार्च के मध्य तक इस पर फैसला हो सकता है। सरकार चाहती है कि टैक्स में कटौती करने से पहले तेल की कीमतें स्थिर हो जाएं, ताकि उसे कर ढांचे (Tax structure) में बदलाव के लिए मजबूर न होना पड़े।

दिल्ली और मुंबई में पेट्रोल और डीजल अपने उच्चतम स्तर पर है। दिल्ली में पेट्रोल का दाम 91.17 रुपये जबकि डीजल का दाम 81.47 रुपये पहुंच गया है। मुंबई में पेट्रोल की कीमत 97.57 रुपये है तो डीजल की कीमत 88.60 रुपये प्रति लीटर है।

सरकार को मिला 5.56 लाख करोड़ रुपये का राजस्व  

31 मार्च 2020 को खत्म हुए वित्त वर्ष में केंद्र और राज्य सरकारों ने पेट्रोलियम सेक्टर से 5.56 लाख करोड़ रुपये का राजस्व हासिल किया था जबकि अप्रैल से दिसंबर 2020 के बीच 4.21 लाख करोड़ रुपये का राजस्व हासिल हुआ है। यह तब हुआ है जब पेट्रोलियम की मांग कम थी।

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