लखनऊ। मायावती सरकार के कार्यकाल में हुए चीनी मिल बिक्री घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय ने बड़ी कार्रवाई की है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने बसपा के पूर्व एमएलसी हाजी मोहम्मद इकबाल की 1000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त कर ली है। गौरतलब है कि बसपा की सरकार के दौरान उत्तर प्रदेश में 11 चीनी मिल औने-पौने दाम पर बेची गई थीं। इसको लेकर पत्रकार सच्चिदानन्द सच्चे ने इलाहाबाद हाइकोर्ट में याचिका डाली थी। इस पर हाईकोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे।

बसपा सरकार के दौरान एमएलसी रहे हाजी मोहम्मद इकबाल ने कई चीनी मिल खरीदी थीं। वर्ष 2020 में सीबीआई की छापेमारी के दौरान  हाजी मोहम्मद इकबाल के घर से करोड़ों की संपत्ति के कागजात मिले थे।

ईडी की ओर से जानकारी दी गई है कि हाजी मोहम्मद इकबाल की 7 चीनी मिलों को उसने अपने कब्जे में ले लिया है। इनमें से कुछ शुगर मिल उनके परिवार के सदस्यों नाम से भी पंजीकृत थीं। इन मिलों की कुल कीमत 1097,18,10,250 करोड़ रुपये है। इनकी अन्य जगहों पर स्थित संपत्तियों की भी जांच की जा रही है।

साल 2019 में शुरू हुई थी घोटाले की जांच

मायावती सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2010-11 में 7 बंद चीनी मिलों को बेचने में हुए घोटाले में सीबीआई लखनऊ की ऐंटी करप्शन ब्रांच ने एफआईआर दर्ज की थी। इसके अलावा 14 अन्य चीनी मिलों की बिक्री को लेकर 6 अलग-अलग पीई (आरंभिक जांच) दर्ज की गई हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने 12 अप्रैल, 2018 को 21 चीनी मिलों की बिक्री में हुई गड़बड़ियों की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। इन मिलों को बेचने में हुए घोटाले के कारण प्रदेश सरकार को 1,179 करोड़ रुपये के राजस्व का घाटा हुआ था।

सीबीआई ने इस मामले में दिल्ली के रोहिणी निवासी राकेश शर्मा और सुमन शर्मा, गाजियाबाद के इंदिरापुरम निवासी धर्मेंद्र गुप्ता, सहारनपुर निवासी सौरभ मुकुंद और मोहम्मद जावेद तथा बेहट निवासी मोहम्मद नसीम अहमद और मोहम्मद वाजिद को नामजद किया है। इनके खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और कंपनी एक्ट 1956 की धारा 629 (ए) के तहत मामला दर्ज हुआ था

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