नई दिल्ली। दुनियाभर में चल रहे टीकाकरण अभियान के बावजूद कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से पांव पसार रहा है। कहीं दूसरी तो कहीं तीसरी कोरोना लहर (Corona wave) ने सरकारों और स्वास्थ्य एजेंसियों की नींद उड़ा रखी है। भारत के कई शहरों में फिर से लॉकडाउन लागू करना पड़ा है तो महाराष्ट्र, पंजाब आदि राज्यों के कई शहरों में नाइट कर्फ्यू लगाया जा रहा है। वैक्सीनेशन और एहतियाती उपायों के साथ ही दुनियाभर में शोध-अनुसंधान भी जारी हैं। अमेरिका की मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी,  MIT) के एक शोध-अध्ययन से पता चला है चिकित्सीय जांच में इस्तेमाल होने वाले अल्ट्रासाउंड में कोरोना वायरस को खत्म करने की क्षमता है।

एमआईटी के शोधकर्ताओं ने इस रिसर्च के दौरान अल्ट्रासाउंड फ्रीक्वेंसी की एक रेंज में वाइब्रेशन के लिए कोरोना वायरस का मैकेनिकल रिस्पांस मॉडल तैयार किया। उन्होंने पाया कि 25 से 100 मेगाहर्ट्ज के बीच वाइब्रेशन ने वायरस के शेल और स्पाइक्स को नष्ट कर दिया और एक मिलीसेकंड के कुछ हिस्सों में ही उसका टूटना शुरू हो गया। जर्नल ऑफ मैकेनिक्स एंड फिजिक्स ऑफ सॉलिड्स में प्रकाशित इस खोज के बारे में कहा गया है कि इसका प्रभाव हवा और पानी दोनों में देखने को मिला है। इसके आधार पर शोधकर्ताओं का मानना है कि अल्ट्रासाउंड के जरिए भी कोरोना वायरस का इलाज किया जा सकता है। संस्थान में अप्लाइड मैकेनिक्स के प्रोफेसर टॉमस बीयर जविकी की अनुसार, “अल्ट्रासाउंड के वाइब्रेशन से कोरोना वायरस की सेल को नुकसान पहुंच सकता है। साथ ही साथ हाई फ्रिकवेंसी वाइब्रेशन से पैदा होने वाले स्ट्रेन वायरस के कुछ हिस्सों को तोड़ा जा सकता है और स्पाइक को भी रोका जा सकता है। यह वाइब्रेशन वायरस के हिस्से को तोड़कर बाहरी सेल को तो नुकसान होने से बचाता ही है साथ ही संभावना है कि आरएनए (RNA) के अंदर भी वायरस की मौजूदगी को नुकसान पहुंचाता है।” हालांकि इसे अभी पूरी तरह सटीक नहीं माना जा सकता क्योंकि अभी भी काफी रिसर्च बाकी है। फिलहाल यह जानने की कोशिश की जा रही है कि शरीर के अंदर वायरस को नुकसान पहुंचाने में यह कितना असरदार है।

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