नई दिल्ली। लोन मोरेटोरियम मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों को ज्यादा और ग्राहकों को थोड़ी राहत दे दी है। देश की सबसे बड़ी अदालत के इस फैसले उन लोगों को झटका लगा है जो लोन मोरेटोरियम पर पूरी तरह ब्याज माफी की मांग कर रहे थे। अदालत ने ब्याज में पूरी तरह छूट देने से इन्कार कर दिया है। उसने कहा कि सिर्फ कुछ लोगों की संतुष्टि के लिए वह पॉलिसी में दखल नहीं दे सकता।
मंगलवार को यह फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति एमआर शाह ने कहा कि कई याचिकाकर्ता चाहते थे कि लोन मोरेटोरियम के ब्याज पर पूरी छूट मिले और सेक्टर के हिसाब से राहत दी जाए। उन्होंने कहा कि इकोनॉमिक पॉलिसी क्या है और वित्तीय पैकेज क्या होना चाहिए ये तय करना केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक का काम है। शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकार को आर्थिक फैसले लेने का अधिकार है क्योंकि महामारी के चलते सरकार को भी भारी आर्थिक नुकसान हुआ है।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने यह फैसला दिया।
यह वही मामला है जिसमें सरकार ने बैंक कर्जदारों को ईएमआई (EMI) भुगतान पर बड़ी राहत दी थी। दरअसल, पिछले रिजर्व बैंक ने एक मार्च से 31 मई तक कर्ज देने वाली कंपनियों को मोरेटोरियम देने की बात कही थी जिसे 31 अगस्त तक बढ़ाया भी गया।
ब्याज पर ब्याज को लेकर विवाद
2020 में मार्च-अगस्त के दौरान मोरेटोरियम योजना का लाभ बड़ी संख्या में लोगों ने लिया, लेकिन उनकी शिकायत थी कि अब बैंक बकाया राशि पर ब्याज के ऊपर ब्याज लगा रहे हैं। यहीं से मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मामले पर सवाल पूछा था कि पर अतिरिक्त ब्याज क्यों लिया जा रहा है, तो सरकार ने अपने जवाब में कहा कि 2 करोड़ रुपयो तक के कर्ज के लिए बकाया किस्तों के लिए ब्याज पर ब्याज नहीं लगाया जाएगा। सरकार के इस प्रस्ताव में 2 करोड़ रुपये तक के MSME लोन, एजुकेशन लोन, होम लोन, क्रेडिट कार्ड बकाया, कार-टू व्हीलर लोन और पर्सनल लोन शामिल हैं। इसका पूरा भार सरकार के ऊपर आएगा जिसके लिए सरकार ने करीब 6 हजार से 7 हजार करोड़ रुपए खर्च किए।
तीन महीने के लिए था मोरेटोरियम, बाद में 6 महीने कर दिया गया
कर्ज भुगतान पर राहत देने के बाद रिजर्व बैंक ने बैकों से कहा कि वे लोन का वन टाइम रिस्ट्रक्चरिंग करें और इसे एनपीए (NPA) घोषित न करें। इसके तहत उन्हीं कंपनियों और कर्जदारों को शामिल किया जाए, जो 1 मार्च 2020 से 30 से ज्यादा दिन तक डिफॉल्ट नहीं हुए हैं। कॉर्पोरेट कर्जदारों के लिए बैंक 31 दिसंबर 2020 तक रिज्योल्यूशन प्लान लाएं और 30 जून 2021 तक लागू करें। 22 मई को रिजर्व ने अपनी एमपीसी (MPC) बैठक में कहा था कि लोन मोरेटोरियम को तीन महीने के लिए बढ़ाया जा रहा है।
लोन मोरेटोरियम है क्या?
मोरेटोरियम का मतलब होता है आप अगर किसी चीज का भुगतान कर रहे हैं तो उसे एक निश्चित समय के लिए रोक दिया जाएगा। उदाहरण से समझते हैं- मान लीजिए अगर आपने कोई लोन लिया है तो उसकी EMI को कुछ महीनों के लिए रोक सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे इसका यह मतलब नहीं है कि आपकी EMI माफ कर दी गई है।