लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के बाद से लगातार चर्चा में रहे आइपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश दिया गया है। जबरिया रिटायर किए जाने के बाद अमिताभ ठाकुर ने एक ट्वीट भी किया जिसमें उन्होंने लिखा है, “मुझे अभी-अभी वीआरएस (लोकहित में सेवानिवृति) आदेश प्राप्त हुआ। सरकार को अब मेरी सेवाएं नहीं चाहिए। जय हिंद।”

1992 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी अमिताभ ठाकुर आईजी रूल्स एंड मैन्युअल के पद पर कार्यरत थे। 21 मार्च को जारी अधिसूचना के अनुसार, अमिताभ ठाकुर को लोकहित में सेवा में बनाये रखे जाने के उपयुक्त न पाते हुए लोकहित में तात्कालिक प्रभाव से सेवा पूर्ण होने से पूर्व सेवानिवृत्त किये जाने का निर्णय लिया गया है।

अमिताभ ठाकुर ने मुलायम सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलने के साथ ही उनके खिलाफ लखनऊ में मुकदमा भी दर्ज करावाया था। इसके बाद अखिलेश यादव सरकार ने उनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराई।

उन पर आरोप था कि 16 नवंबर 1993 को आईपीएस की सेवा प्रारंभ करते समय अपनी संपत्ति का ब्यौरा शासन को नहीं दिया गया। इसके साथ ही उन्होंने 1993 से 1999 तक का वर्षवार संपत्ति विवरण शासन को एकमुश्त दिया। आरोप-पत्र में यह भी था कि अमिताभ ठाकुर के वर्षवार वार्षिक संपत्ति विवरण में काफी भिन्नताएं हैं। उन्होंने अपनी पत्नी और बच्चों के नाम से काफी संख्या में चल एवं अचल संपत्तियां, बैंक और पीपीएफ जमा की हैं। उनको ऋण और उपहार प्राप्त हुए थे किन्तु उन्होंने इसकी सूचना शासन को नहीं दी।

इन कार्यों को अखिल भारतीय आचरण नियमावली 1968 के नियम 16(1) तथा 16(2) का उल्लंघन बताते हुए अमिताभ ठाकुर को 15 दिन में इनके संबंध में अपना जवाब देने को कहा गया था।

इससे पहले अमिताभ ठाकुर पर चार विभागीय कार्रवाइयां चलीं जो वर्ष 2015-16 में शुरू हुई थीं।

 

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