नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को सेना में स्थायी कमीशन देने के मामले में गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया। देश की सबसे बड़ी अदालत ने गुरुवार को भारतीय सेना और नौसेना को निर्देश दिया कि एक महीने के भीतर इस पर विचार करें और इन्हें (महिलाओं को) स्थायी कमीशन दें। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने महिला अधिकारियों के लिए बनाए गए मेडिकल फिटनेस के नियमों को भी तर्कहीन बताया। शीर्ष अदालत ने कहा कि हमारे समाज का तानाबाना पुरुषों के ओर से पुरुषों के लिए ही बनाया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने सेना में कई महिला अधिकारियों को फिटनेस और दूसरी योग्यताओं और शर्तों को पूरा करने के बावजूद स्थाई कमीशन नहीं देने पर नाराजगी जताई।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि जिस प्रक्रिया के माध्यम से महिला अधिकारियों का मूल्यांकन किया गया, वह लैंगिक भेदभाव की चिंताओं को दूर नहीं करता है। पिछले साल कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले में इसे लेकर चिंता जताई गई थी। कोर्ट ने कई महिला अफसरों द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर फैसला सुनाया। इसमें कोर्ट द्वारा स्थायी आयोग, पदोन्नति और अन्य लाभ देने को लेकर पिछले साल फरवरी में जारी निर्देशों को लागू करने की मांग की गई है।

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