बरेली। साहित्यिक संस्था शब्दांगन ने राष्ट्रपति पुरस्कार से पुरस्कृत लाल बहादुर गंगवार और राज्य संदर्भ समूह के सदस्य डॉ अनिल चौबे को पांचाल शिरोमणि सम्मान से सम्मानित किया है। संस्था के बिहारीपुर खत्रियान स्थित केंद्रीय कार्यालय में शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम में डॉ सुरेश रस्तोगी, इंद्र देव त्रिवेदी और रामकुमार अफरोज ने दोनों विभूतियों का सुनहरी माला, उत्तरीय, स्मृति चिह्न और पगड़ी पहनाकर अभिनंदन किया। यह सम्मान साहित्कारों और शिक्षाविदों को प्रदान किया जाता है।
होली के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ शिवशंकर यजुर्वेदी की वाणी वंदना से हुआ। रामकुमार अफरोज ने कहा-
होली तो आई यहां, ना आये मनमीत।
डालूं किसपर रंग मैं, संग नहीं हैं मीत।
शिवशंकर यजुर्वेदी ने समां बांधा-
बैरिन मलयानिल चली,
होली पर मृदु पीर।
अंग – अंग घायल करें,
काम कुसुम के तीर।
अध्यक्षता कर रहे डॉ सुरेश रस्तोगी का गीत भी खूब पसंद किया गया-
घर बाहर होली के टोले
मौसम मस्त बहारों का है।
संचालन कर रहे शब्दांगन के महामंत्री इंद्र देव त्रिवेदी की ग़ज़ल पर खूब तालियां बजीं-
निखरा- निखरा शबाब होली पर,
लगता लिख दूं किताब होली पर।
कैसे पहचानूं कौन है अंदर,
मुंह पर डाला नकाब होली पर।
राम प्रकाश सिंह ओज, सतीश शर्मा, डॉ रवि प्रकाश शर्मा, प्रवीण कुमार शर्मा, लाल बहादुर गंगवार और डॉ अनिल चौबे की कविताओं ने भी समां बांध दिया।