कोलोराडो। दुनिया के प्रमुख मेडिकल जर्नल लैंसेट (Lancet) में छपे एक नए अध्ययन में कहा गया है कि इस बात के “ठोस मजबूत सबूत” मिले हैं कि SARS-CoV-2 वायरस, जिससे कोविड-19 (कोरोना) फैलता है, वह सबसे ज्यादा हवा से फैलता है। ऐसे में इस चरित्र के आधार पर न उठाए जाने वाले सुरक्षा के कदम कारगर नहीं होते और लोगों में संक्रमण का खतरा बना रहता है। इस अध्ययन को ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा के 6 विशेषज्ञों ने मिलकर किया है।
हवा से वायरस ट्रांसमिशन के सबूत मिलने के बाद लैंसेट ने कहा है कि विश्व स्वस्थ्य संगठन और दूसरी हेल्थ एजेंसियां वायरस ट्रांमिशन की परिभाषा में तुरंत बदलाव करें ताकि इसके फैलाव को रोका जा सके।
विशेषज्ञों ने इन पॉइंट्स के आधार पर किया दावा
-अध्ययन में वायरस के हवा में ट्रांसमिशन के सबूत पाए गए। इनमें सबसे पहले एक सुपर स्प्रेडर इवेंट्स का जिक्र है। रिसर्चर्स ने कागिट चोयर इवेंट के बारे में बताया। इसमें एक ही संक्रमित से 53 लोगों में वायरस फैल गया। अध्ययन में पता चला कि ये लोग एक-दूसरे के करीब नहीं गए और न मिले। एक ही सतह को बार-बार छुआ भी नहीं। यानी हवा से ही इन लोगों में वायरस फैला।
-रिसर्च में बताया गया है कि खुली जगहों की बजाय बंद जगहों में संक्रमण ज्यादा तेजी से फैलता है। बंद जगहों को हवादार बनाकर संक्रमण के फैलाव को तेजी से कम किया जा सकता है।
-वायरस का साइलेंट ट्रांसमिशन उन लोगों से ज्यादा होता है, जिनमें सर्दी, खांसी के लक्षण नहीं पाए जाते हैं। 40 प्रतिशत वायरस ट्रांसमिशन इसी तरह से हुआ। यही साइलेंट ट्रांसमिशन पूरी दुनिया में वायरस के फैलने की मुख्य वजह रही। इस आधार पर ही वायरस के हवा से फैलने की थ्योरी साबित होती है।
–विशेषज्ञों ने कहा कि ड्रॉपलेट्स के जरिए वायरस के तेजी से फैलाव के बेहद कम सबूत मिले हैं। बड़े ड्रॉपलेट्स हवा में नहीं ठहर पाते और ये गिरकर सतह को संक्रमित करते हैं। इससे हवा में वायरस के फैलाव के मजबूत सबूत मिले हैं।
हाथ धोना और सतह को साफ करना अभी भी जरूरी
अध्ययन में शामिल विशेषज्ञों का कहना है कि हाथ धोना और सतह को साफ करना अभी भी जरूरी हैं लेकिन सारा फोकस इसी पर नहीं होना चाहिए। जरूरत है कि हवा के जरिए वायरस ट्रांसमिशन के लिए तुरंत जरूरी कदम उठाए जाएं। वायरस को सांस में जाने से रोकने और इसे हवा में ही खत्म करने पर फोकस करना चाहिए।