देहरादून। उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में ग्लेशियर टूटकर मलबा मलारी-सुमना सड़क पर गिर गया। इस सड़क पर निर्माण कार्य चल रहा था। सुमना- 2 में क्यू गाड़ वैली के निकट यह ग्लेशियर टूटा है। यह स्थान जोशीमठ से लगभग 94 किलोमीटर आगे है। सेना के मुताबिक, अब तक 8 शव बरामद करने के साथ ही 384 लोगों को सुरक्षित बचाया जा चुका है। इनमें 6 की हालत गंभीर है। सेना की सेंट्रल कमांड के मुताबिक, ये लोग जोशीमठ के सुमना इलाके में बने बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO, बीआरओ) के कैंप में थे। खराब मौसम के चलते रात में रेस्क्यू ऑपरेशन रोक दिया गया था जिसे सुबह होते ही फिर से शुरू कर दिया गया।

ग्लेशियर टूटने की घटना का केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तुरंत संज्ञान लिया और मदद का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शनिवार की सुबह आपदा ग्रस्त क्षेत्र का हवाई निरीक्षण किया। उन्होंने सेना के अधिकारियों के साथ बैठक भी की।

इस बीच, मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि अगले 28 घंटे में चमोली में तेज बारिश के साथ आंधी आ सकती है। इस दौरान यहां न्यूनतम तापमान 6 डिग्री और अधिकतम 14 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है। मौसम विभाग ने 26 अप्रैल से आसमान साफ रहने का अनुमान लगाया है।

जिस वक्त ग्लेश्यिर टूटा, मजदूर कर रहे थे काम

बीआरओ के कमांडर कर्नल मनीष कपिल ने कहा कि यहां सड़क निर्माण का काम चल रहा था। ग्लेशियर टूटने का कारण भारी बर्फबारी को माना जा रहा है। हादसे की वजह से जोशीमठ-मलारी हाईवे भी बर्फ से ढक गया है।


मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा, “नीती घाटी के सुमना में ग्लेशियर टूटने की सूचना मिली है। इस संबंध में मैंने एलर्ट जारी कर दिया है। मैं निरंतर जिला प्रशासन और बीआरओ के सम्पर्क में हूं। जिला प्रशासन को मामले की पूरी जानकारी प्राप्त करने के निर्देश दे दिए हैं। एनटीपीसी एवं अन्य परियोजनाओं में रात के समय काम रोकने के आदेश दे दिए हैं, ताकि कोई अप्रिय घटना ना होने पाये।”

इसी साल फरवरी में हुई थी तबाही

उत्तराखंड में 7 फरवरी 2021 की सुबह साढ़े 10 बजे चमोली जिले के तपोवन में ग्लेशियर टूटकर ऋषिगंगा नदी में गिरा था। हादसे के बाद 50 से ज्यादा लोगों की लाश मिली थी जबकि 150 से ऊपर लोग ऐसे थे जिनका हादसे के बाद कोई पता नहीं चल पाया। प्रशासन ने कुछ दिन तक चली खोजबीन के बाद इन्हें भी मृत मान लिया था। नदी में ग्लेशियर गिरने से धौलीगंगा पर बन रहा एक बांध बह गया था। तपोवन में एक प्राइवेट पावर कंपनी के ऋषिगंगा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट और सरकारी कंपनी NTPC के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा था। आपदा में सबसे ज्यादा नुकसान यहीं हुआ था।

उत्तराखंड में करीब साढ़े सात साल बाद कुदरती कहर दिखा था। चमोली जिले की कुल आबादी 3.90 लाख है। हरा-भरा और पहाड़ों का खूबसूरत नजारा इसकी पहचान है लेकिन उस हादसे ने सबको झकझोर दिया था। तबाही रैणी गांव के पास शुरू हुई थी। यहां से ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट को तबाह करने के बाद सैलाब आगे बढ़ा और भारत-चीन को जोड़ने वाला ब्रिज बहा ले गया। ये ब्रिज एकमात्र जरिया था, जिससे हमारे सैनिक चीन बॉर्डर पर पहुंचते थे। ब्रिज टूटने से आस-पास के 12 गांवों से कनेक्शन भी टूट गया था।

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