नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ने के साथ ही हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। मरीजों की संख्या बेतहासा बढ़ने की वजह से अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन और दवाओं की भारी किल्लत है। ऐसे में यह और भी जरूरी हो जाता है कि कोरोना के बहुत हल्के (Mild) और एसिम्प्टोमैटिक मरीजों के लिए घर में ही इलाज की व्यवस्था और आवश्यक दिशा-निर्देश जारी हों। इसके मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने गुरुवार को ऐसे कोरोना मरीजों के लिए संशोधित गाइडलाइन जारी की है जिससे वे घर में ही ठीक हो सकें और गंभीर रूप से बीमार मरीजों को अस्पताल में बेड उपलब्ध हो सके। 

केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन

– हल्के या बगैर लक्षण वाले मरीज जिनको कोई दूसरी बीमारी नहीं है वे घर पर होम आइसोलेशन में रहते हुए अपना इलाज करा सकेंगे लेकिन इसके लिए पहले उन्हें डॉक्टर की अनुमति लेनी होगी। साथ ही उनके संपर्क में आए लोगों को भी होम क्वारंटीन में रहना होगा। 

– लक्षण के शुरुआत के कम से कम 10 दिन बीतने के बाद और 3 दिनों तक बुखार नहीं होने पर होम आइसोलेशन से बहार आ सकते हैं। होम आइसोलेशन के बाद दोबारा से टेस्ट करवाने की जरूरत नहीं है। 

– हल्के लक्षण वाले मरीजों को ओरल स्टेरॉयड नहीं दिया जाएगा। अगर बुखार और खांसी जैसे लक्षण 7 दिनों से ज्यादा बने रहते हैं तो डॉक्टर की सलाह पर लो डोज ओरल स्टेरॉयड दी जा सकती है।

– जिन मरीजों को एचआईवी (HIV) और कैंसर हो या ट्रांसप्लांट हुआ है उनको होम आइसोलेशन में रहने के लिए पहले डॉक्टरों की इजाजत लेनी होगी।

– 60 साल से ऊपर के मरीजों को भी होम आइसोलेशन के लिए डॉक्टरों की इजाजत लेनी होगी। परिवार का जो भी व्यक्ति मरीज की देखभाल करेगा और क्लोज कॉन्टैक्ट में होगा उसे डॉक्टर की सलाह पर नियमित रूप से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन प्रोफिलैक्सिस (HCQ) लेनी होगी और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना होगा। 

– होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों को ऐसे कमरे में रहना होगा जहां क्रॉस वेंटिलेशन हो और कमरे की खिड़की खुली रहे। साथ ही इस बात का ध्यान रखना होगा कि मरीज हमेशा ट्रिपल लेयर मास्क पहने। मरीज के मास्क को हर 8 घंटे में बदलना अनिवार्य है।

– मरीज के कमरे में जाते समय देखभाल करने वाले व्यक्ति को N95 मास्क पहनना होगा। मास्क बदलना है तो उसे 1% सोडियम हाइपोक्लोराइट के घोल से डिसइंफेक्ट करने के बाद ही उसे फेंकना है।

– होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों को ज्यादा से ज्यादा लिक्विड डायट लेना है। ऐसे मरीजों को ज्यादा से ज्यादा आराम करना है।

– मरीज को दिन में दो बार गुनगुने पानी से गरारा करने के साथ ही स्टीम यानी भपारा लेना है।

– मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो, ऑक्सीजन सेचुरेशन 94% के नीचे हो, सीने में दर्द हो, भ्रम की स्थिति हो तो डॉक्टर की सलाह लें।

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