नई दिल्ली। कोरोना महामारी के बीच ऑक्सीजन की कमी और व्यवस्थाओं में खामियों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को फिर सुनवाई हुई। इस दौरान शीर्ष अदालत ने सरकार से कहा, “हम यह बहुत साफ कह देना चाहते हैं कि अगर कोई नागरिक सोशल मीडिया पर अपनी शिकायत दर्ज करवाए तो यह नहीं कहा जा सकता है यह जानकारी गलत है। हम नहीं चाहते कि इस तरह की सूचनाओं को दबाया जाए।”

देश की सबसे बड़ी अदालत ने केंद्र सरकार और राज्यों के पुलिस प्रमुखों को आदेश देते हुए कहा अफवाह फैलाने के नाम पर कार्रवाई की गई तो अवमानना का मामला चलाएंगे। साथ ही केंद्र सरकार से पूछा है कि दवाओं का उत्पादन और वितरण सुनिश्चित क्यों नहीं हो पा रहा है। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड ने पूछा कि क्या वैक्सीन आवंटन के लिए एक राज्य पर दूसरे राज्य को प्राथमिकता दी जा रही है?

केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि हर महीने एक करोड़ से अधिक रेमडेसिविर उत्पादन की क्षमता है। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए रोते हुए सुना है। राजधानी दिल्ली में ऑक्सीजन नहीं है। गुजरात, महाराष्ट्र में भी ऐसा है।

सुप्रीम कोर्ट के केंद्र से सवाल

– ऑक्सीजन टैंकर्स और सिलेंडर्स की सप्लाई को लेकर क्या कदम उठाए गए हैं?

– आपको कितनी ऑक्सीजन सप्लाई की उम्मीद है?

– निरक्षर और ऐसे लोगों के रजिस्ट्रेशन के लिए क्या व्यवस्था है, जिनके पास इंटरनेट नहीं है?

– केंद्र कहता है कि 50% वैक्सीन राज्यों को मिलेगी, वैक्सीन मैन्युफैक्चरर्स इस मामले में निष्पक्षता कैसे बरतेंगे?

– 18 से 45 वर्ष के बीच की कितनी आबादी है, केंद्र इसका स्पष्ट जवाब दे?

सीजेआई के सामने दूसरी याचिका पर सुनवाई में दिलचस्प सवाल-जवाब

सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायधीश एनवी रमन्ना की पीठ के सामने भी कोविड ट्रीटमेंट और दवाइयों को लेकर एक याचिका फाइल हुई थी। इस पर अदालत और याचिकाकर्ता सुरेश शॉ के बीच दिलचस्प सवाल-जवाब हुए।
सुप्रीम कोर्ट: क्या तुम डॉक्टर हो?
याचिकाकर्ता: नहीं मैं डॉक्टर नहीं हूं।
सुप्रीम कोर्ट: कोविड के बारे में आपकी क्या जानकारी है?
याचिकाकर्ता: मैं बेरोजगार हूं।
सुप्रीम कोर्ट: ये बेहद हल्की याचिका है, इसे ऐसे आदमी ने दाखिल किया है, जिसे विषय के बारे में कोई जानकारी नहीं है। याचिकाकर्ता चाहता है कि हम इस बारे में निर्देश दें कि कोविड के लिए कैसे टेस्ट और ट्रीटमेंट हों। हम दाम तय करें। आप बताइए कि हम कितना दाम तय करें?
याचिकाकर्ता:मेरे अकाउंट में केवल एक हजार रुपये हैं।
कोर्ट: हम एक हजार दाम लागू करते हैं। डिसमिस…

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