इस समय भारत के पश्चिमी समुद्रतटीय क्षेत्रों में ताऊते चक्रवाती तूफान का कहर जारी है। गुजरात, महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, गोवा के तटवर्ती क्षेत्रों में इससे भारी तबाही हुई है। 180 से 190 किलोमीटर की रफ्तार से चलने वाली हवाओं और भारी वर्षा से प्रभावित क्षेत्रों में जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। वायुमण्डल की सामान्य दशाओं में एकायक परिवर्तन के कारण इस तरह के चक्रवाती तूफान आते हैं। चक्रवात दो प्रकार के होते हैं शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवात एवं उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात। शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवाओं से कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप, चिली अर्जेन्टाइना एवं चीन में भारी हानि होती है जबकि शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवात भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, इण्डोनेशिया, मलेशिया, फिलीपीन्स में भारी तबाही मचाते हैं। ताऊते एक शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवात है जिसकी वजह, इस समय एशिया महाद्वीप के देशों में भारी तबाही हो रही है। शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवात के दौरान चलने वाली प्रचण्ड हवाओं एवं भारी वर्षा के कारण प्रभावित क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर विनाश होता है। ताऊते इसी प्रकार का चक्रवाती तूफान है।
इस तूफान का नाम ताऊते नाम कैसे रखा गया इसकी भी एक दिलचस्प कहानी है। इसका नाम ताऊते म्यांमार देश ने दिया। यह वर्मी भाषा का शब्द है जिसका मतलब है- अधिक शोर करने वाली छिपकली। सन् 2004 में इन चक्रवातों का नामकरण करने की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई। चक्रवातों का नाम मौसम विभाग/संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग एशिया व प्रशान्त पैनल ऑन ट्रॉपीकल साइक्लोन (पीटीसी) द्वारा किया जाता है। इस पैनल में 13 देश हैं। इनमें भारत, बांग्लादेश, मालद्वीप, ओमान, श्रीलंका, थाईलैण्ड, ईरान, कतर, पाकिस्तान, म्यांमार, यूएई और यमन शामिल हैं। ये देश तूफान के नामकरण का सुझाव देते हैं। सन् 2014 में हुई बैठक में इन देशों की सहमति से 169 नामों की सूची बनी थी। इस सूची में सभी 13 देशों ने अपने-अपने देश की भाषा के 13-13 नाम प्रस्तावित किए थे। तूफान का नाम रख देने के पीछे यह उद्देश्य है कि इससे आपदा प्रबन्धन में आसानी हो और आमजनता को आने वाले तूफान के प्रति सजग किया जा सके। इस समय मौसम विभाग ने ताऊते तूफान की वजह से उत्तर प्रदेश के 13 जनपदों में हल्की या भारी वर्षा एवं आंधी आने की चेतावनी दी है। इन जिलों बरेली मंडल के बरेली और शाहजहांपुर जिले भी शामिल हैं।
सुरेश बाबू मिश्रा
(लेखक भूगोल के जानकार और सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य हैं)