निर्माणाधीन श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की सुरक्षा की दृष्टि से पांच एकड़ क्षेत्र में दक्षिण भारतीय शैली में बनने वाले परकोटा को चौकोर करने की दिशा में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास आस-पास के मंदिरों का बैनामा करने में काफी हद तक सफल हो गया है। इसके साथ ही मंदिर की नींव का कार्य भी चल रहा है।

ट्रस्ट ने मंदिर के विस्तार का लक्ष्य 108 एकड़ भूमि का रखा था जिसके लिए फकीरे राम एवं कौशल्या भवन नामक दो मंदिरों को मुआवजा देकर बैनामा करवा लिया गया है। अब तीसरे मंदिर से भी बात हो जाना बताया गया है।                      

स्मरण रहे कि राम मंदिर के लिए जुटाई गई संग्रह निधि का आंकड़ा  54.57 करोड़ रुपये को पार कर गया है। पिछले दिनों निर्माणाधीन मंदिर के गर्भगृह में वास्तु से संबंधित पूजा हुई थी। इन दिनों मंदिर की नींव भरी जा रही है। इस पूजा प्रक्रिया में संघ के प्रचारक भैयाजी जोशी, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चंपत राय, न्यास के सदस्य एवं अयोध्या राजपरिवार के प्रमुख विमलेंद्र मोहन मिश्र, जिलाधिकारी, निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेंद्र दास, डॉ अनिल मिश्र आदि शामिल हुए थे।

इमी मई माह में विद्वान आचार्यों ने नवग्रह के साथ सभी दिशाओं और कोणों की प्रतिनिधि शिलाओं का पूजन कराकर उन्हें प्रतिष्ठित कराया है। पूजन के बाद वैदिक विधान के अनुरूप पूर्व दिशा में नंदा, दक्षिण में भद्रा, पश्चिम में जया और उत्तर में पूर्णा तथा आग्नेय कोण में अजिता, नैऋत्य कोण में अपराजिता, वायव्य कोण में शुक्ला, ईशान कोण में शोभागिनी एवं मध्य यानी गर्भगृह के भूगर्भ में कूर्म नाम की शिला को रखा जाना बताया गया।

5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर के लिए जिस  शिला का पूजन किया था, गर्भगृह की भूमि पर वही शिला स्थापित की गई है, ऐसी जानकारी प्राप्त हुई है। ये सभी शिलाएं एक बड़े शिलाखंड पर दिशाओं और कोणों की पहचान और प्रतीक के अनुरूप आकार में उत्कीर्ण की गई थीं। इनका पूजन कोणों अथवा दिशाओं के देवता के रूप में विशिष्ट आह्वान के साथ हुआ। मंदिर की नींव रखने के लिए 400 फीट लंबी और 300 फीट चौड़ी 44 लेयर बननी हैं। चंपत राय के अनुसार, 12 इंच की एक लेयर पड़ती है, फिर उस पर रोलर चला कर उसको 10 इंच तक दबाया जाता है। परिसर में रामलला के दर्शन को आने वाले भक्तों के पांव गर्मी के मौसम में पथरीली राहों पर तपे नहीं, न्यास इसके लिए कॉरपेट की पट्टिका बिछाने की दिशा में कार्य कर रहा है।                                                       

न्यास इस पर भी मंथन कर रहा है कि लॉकडाउन के बाद जो रामभक्त मंदिर के दर्शन को आएं, वे यहां हो रहे निर्माण कार्य की प्रगति एक निर्धारित स्थान से देख सकें, ताकि जब वे अपने प्रदेश में जाएं तो मंदिर के निर्माण कार्य की जानकारी और अधिक लोगो को दे सकें। अक्षय कुमार ने बीते दिनों रामलला के दर्शन कर अपनी आगामी फिल्म का महूर्त शॉट भी यहां फिल्माया था।

हाल ही में मंदिर निर्माण के लिए की गई खुदाई में जो भी खंडित मूर्तियां मिली हैं, उन्हें भी संग्रहालय में रखा जाएगा। माता सीता अशोक वाटिका में जिस  चबूतरे पर बैठी थीं, वहां का पत्थर भी श्रीलंका के राजदूत ने अपने देश की ओर से भारत को भेंट किया है जो अब राम मंदिर में ही लगेगा।                                    

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब राम मंदिर का भूमि पूजन किया था, तब ट्रस्ट के जिम्मेदार लोगों ने साढ़े तीन साल में मंदिर बनने का दावा किया था। हालांकि बीच में राजस्थान के भरतपुर के पहाड़पुर से आने वाले गुलाबी पत्थरों के खनन पर राजस्थान सरकार ने रोक लगा दी थी लेकिन तकनीकी विशेषज्ञ कमेटी चरणबद्ध तरीके से सारे विघ्न पार करती गई। न्यास के महामंत्री चंपत राय ने राम मंदिर निर्माण पर कहा कि लॉकडाउन में भी सभी बाधाएं धीरे-धीरे खत्म हो रही हैं। इसके साथ ही मंदिर परिसर की वर्तमान 70 एकड़ भूमि के आस-पास की 30  से 35 एकड़ और जमीन खरीदने के कार्य में काफी प्रगति हुई है। न्यास के पास रुपयों की भी फिलहाल कोई कमी नही है। निधि समर्पण के 44 दिवसीय अभियान में 54. 57 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि ट्रस्ट के खाते में आयी थी। इसके अलावा प्रचुर मात्रा में सोना और चांदी भी प्राप्त हुआ था।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को जब मंदिर का भूमि पूजन किया था, तब बताया गया था कि मंदिर की 70 एकड़ भूमि में से लगभग 5 एकड़ भूमि पर ही 8 कोण और 5 गुम्बद वाला राम मंदिर 39 माह में पूरा होना है। लॉकडाउन के चलते इस कार्य में विलंब होना तय माना जा है। 5 गुम्बद वाले 260 फुट लंबे, 235 फुट चोड़े और 161 फुट ऊंचे  राम मंदिर की अनुमानित लागत तब 1500 करोड़ रुपये आंकी गई थी। अब मंदिर की लागत काफी बढ़ जाने की बात कही जा रही है। 

104 करोड़ रुपये की लागत से अयोध्या के रेलवे जंक्शन को मंदिर की तर्ज पर नई रूप सज्जा देने और कई रेल रूट को जोड़ने पर भी काम चल रहा है। इससे भार तीय रेल के राम सर्किट से प्रयागराज, मथुरा और बनारस भी जुड़ सकेंगे। अयोध्या धाम में बस का नया टर्मिनल भी बन रहा है। तीर्थ यत्रियों के लिए मंदिर के पास ही निःशुल्क लॉकर, मार्ग के किनारे बैठने को बेंच भी बनेंगी। तीन लाख राम भक्तो के ठहरने की भी व्यवस्था की जाएगी। मुख्य मार्ग से राम मंदिर तक जानेन वाले तीन उपमार्गों को भी चौड़ा करने पर काम हो रहा है। नव्य अयोध्या का कार्य भी प्रगति पर है। सरयू नदी में तैरते आधुनिक क्रूज और नावें भी तीर्थयात्रियों और पर्यटको को आकर्षित करेंगी।  

निर्भय सक्सेना

(वरिष्ठ पत्रकार)

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