त्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी) बोर्ड की इण्टरमीडिएट की परीक्षा को रद्द करने का निर्णय लिया गया। कोरोना संक्रमण की विषम परिस्थितियों को देखते हुए यह फैसला लिया गया। यूपी बोर्ड के सौ वर्ष के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब हाईस्कूल एवं इण्टर के विद्यार्थियों की परीक्षाएं रद्द की गई हैं।

बैठक में लिये गए निर्णय के अनुसार, इण्टर के विद्यार्थियों का परीक्षाफल उनके द्वारा कक्षा 10 एवं कक्षा 11 में अर्जित किए गए औसत अंकों के आधार पर तैयार किया जाएगा। यदि किसी छात्र-छात्रा के कक्षा 11 के अंकों  का विवरण उपलब्ध नहीं है तो उसके बारहवीं कक्षा के प्री-बोर्ड के अंकों को जोड़ा जाएगा। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि यूपी बोर्ड की 2021 की परीक्षा के लिए पंजीकृत सभी 26.1 लाख छात्र-छात्राओं के उत्तीर्ण होने का रास्ता साफ हो गया है। वर्ष 2021 की इण्टर बोर्ड परीक्षा में कोई भी विद्यार्थी अनुत्तीर्ण नहीं होगा और परीक्षाफल  शतप्रतिशत रहेगा। इस प्रकार इस वर्ष का परीक्षाफल यूपी बोर्ड के 100 वर्षों के सर्वाधिक परीक्षाफल के रिकार्ड को तोड़ देगा।

इससे पहले सत्र 2013 की परीक्षा में यूपी बोर्ड की इण्टरमीडिएट परीक्षा में सर्वाधिक 92.68 प्रतिशत परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए थे। वर्ष 2014 की परीक्षा में भी 92.21 प्रतिशत परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए थे जो वर्ष 2013 की परीक्षा से कुछ कम थे। गत वर्ष 2020 की परीक्षा में 74.63 प्रतिशत परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए थे। इस प्रकार अभी तक सर्वाधिक परीक्षाफल का रिकार्ड अभी तक वर्ष 2013 का रहा है। परीक्षार्थियों की संख्या की दृष्टि यूपी बोर्ड दुनिया का सबसे बड़ा बोर्ड है और 2021 की परीक्षा में हाईस्कूल एवं इण्टर के लगभग 60 लाख छात्र उत्तीर्ण होकर शिक्षा जगत में एक नया इतिहास रचेंगे।

सुरेश बाबू मिश्रा

(सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य)

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