वर्तमान समय में विश्व में युवाओं की कुल जनसंख्या 1 अरब 80 करोड़ है। हमारे देश में युवाओं की जनसंख्या विश्व के किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे अधिक है। आस्ट्रेलिया महाद्वीप की जितनी कुल जनसंख्या है उससे दोगुनी जनसंख्या हमारे देश में केवल युवाओं की है।
“जिस ओर जवानी चलती है उस ओर जमाना चलता है।” ये पंक्तियां अक्सर सुनने को मिल जाती हैं जो बिल्कुल सटीक और सार्थक हैं। युवा अवस्था जीवन की सबसे क्रियाशील अवस्था होती है। युवा अवस्था में आदमी शक्ति, क्षमता एवं जोश से लवरेज होता है। अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर वह अपने जीवन में और समाज में कोई भी बदलाव ला सकता है।
राम और लक्ष्मण ने जब लंका के अति पराक्रमी, महाबलशाली और युद्धकला में पारंगत राजा रावण को युद्ध में मार कर इस पृथ्वी को राक्षसों के अत्याचारों से मुक्त कराया था तो वे दोनों नौजवान थे। रावण के पास विशाल सेना थी, बलशाली योद्धा थे, अमोघ अस्त्र-शस्त्र थे, लंका जैसा अभेद्य दुर्ग था, मगर राम और लक्ष्मण के युवा पौरुष, बल, दृढ़ इच्छाशक्ति और दिव्य अस्त्रों के सामने उसे पराजित होना पड़ा।
स्वामी विवेकानंद ने जब भारतीय संस्कृति की कीर्ति पताका को पूरे विश्व में फहराया तो वह मात्र 24 वर्षीय युवा थे। शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन में दिए गए उनके भाषण ने पूरी दुनिया को मंत्रमुग्ध कर दिया था। आज भी वे दुनिया में युवाओं के सबसे बड़े प्रेरणा स्रोत माने जाते हैं।
महात्मा बुद्ध ने जब मानव कल्याण के लिए राजमहल के सुखों और परिवार का परित्याग कर वन में रहकर साधना करने का निर्णय लिया तो वह 22 वर्षीय युवा थे। कठिन साधना के बल पर दिव्य ज्ञान अर्जित कर उन्होंने पूरी दुनिया को ज्ञान और मोक्ष का मार्ग दिखाया। विश्व में आज भी उनके करोड़ों अनुयायी हैं।
कार्ल मार्क्स की लिखी पुस्तक “दास कैपिटल“ ने आधी दुनिया की राजनीति ही बदल दी थी। जब उन्होंने इस पुस्तक को लिखा तो वे युवा थे। उनकी यह पुस्तक दुनिया की सबसे चर्चित पुस्तकों में से एक है।
विश्व की जितनी भी क्रांतियां हुईं हैं, उनमें वहां के नौजवानों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। रूस की क्रांति, फ्रांस की क्रांति और अमेरिकन सिविल वार युवाओं के दम पर ही सफल हुए। इससे इन देशों में क्रांतिकारी परिवर्तन आए।
भारत माता को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिए लड़ी गई जंग में सबसे अधिक कुर्बानी नौजवानों ने ही दीं। शहीदे आजम भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव, राजगुरु, रामप्रसाद विस्मिल, अशफाक उल्ला खां, रोशन सिंह, कन्हाई दत्त, बटुकेश्वर दत्त, करतार सिंह सराभा, ऊधम सिंह, चाफेकर बंधु, खुदीराम बोस, प्रफुल्ल राय आदि नौजवानों के महान बलिदानों को कौन भूल सकता है। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अंग्रेज शासकों द्वारा किये गए क्रूर दमन के कारण लगभग 10 हजार आंदोलनकारी शहीद हुए जिनमें लगभग 6 हजार नौजवान थे।
“तलवारों की धारों पर जग की आजादी पलती है। इतिहास उधर ही चलता है जिस ओर जवानी चलती है।“ किसी कवि ने ये पंक्तियां नौजवानों के इसी जोश, जुनून दृढ़ इच्छाशक्ति और सामर्थ्य को देखकर ही लिखी होंगी। नौजवानों में देश का इतिहास ही नहीं भूगोल को भी बदलने की क्षमता होती है।
एक आकलन के अनुसार हमारे देश में 12 वर्ष से लेकर 30 वर्ष तक के युवाओं की कुल आबादी लगभग 65 करोड़ है। देश के युवाओं की इतनी बड़ी आबादी अपने जोश, जुनून, शक्ति और सामर्थ्य के बल पर देश की तस्वीर बदल सकती है और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर सकती है। बस जरूरत है तो उन्हें उनकी शक्ति और सामर्थ्य का अहसास कराने की।
शक्ति और ज्ञान दुधारी तलवार की भांति होते हैं। अगर उन्हें सही मार्ग मिल जाए तो वे देश और समाज के विकास का द्वार खोल सकते हैं मगर यदि यही शक्ति और ज्ञान गलत मार्ग पर चल निकले तो देश और समाज के पतन का कारण भी बन सकते हैं। इस समय भारत विश्व की एक उभरती हुई महाशक्ति है। विश्व में उसकी विश्वसनीयता एवं स्वीकार्यता बढ़ी है। इसलिए आवश्यकता है इस अवसर का उचित लाभ उठाने की। हम विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर अपने देश के युवाओं को रोजगार के अधिक से अधिक अवसर सुलभ करा सकते हैं। उच्च शिक्षित युवाओं को देश में ही रोजगार के अवसर मिलें जिससे युवा प्रतिभा पलायन पर रोक लग सके।
युवा बेरोजगारों की निरंतर बढ़ती संख्या चिंताजनक है। इन्हें रोजगार के अवसर प्रदान कराना सरकार की जिम्मेदारी है और सरकार इससे मुंह नहीं मोड़ सकती। देश के करोड़ों युवा इंटर पास या फेल होकर पढ़ाई छोड़ चुके हैं। इन युवाओं को उनकी अभिरुचि के अनुसार कौशल विकास का प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार के अवसर सुलभ कराए जाएं जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें। देश के लगभग ढाई करोड़ युवा अंगूठा टेक हैं। वे शिक्षित तो नहीं हैं मगर उनमें शारीरिक बल, शक्ति और सामर्थ्य है। ऐसे युवाओं को सामाजिक वानिकी, पशुपालन, हथकरघा, खादी ग्रामोद्योग, मधुमक्खी पालन, अचार-मुरब्बा उद्योग, बेकरी, सड़क निर्माण, भवन निर्माण आदि में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जा सकते हैं।
युवाओं को शिक्षा, तकनीक ज्ञान और रोजगार के अवसर सुलभ कराने के साथ-साथ उनमें देश प्रेम, राष्ट्रीय सद्भाव, नैतिक मूल्यों औक मानव मूल्यों की भावना जाग्रत करना बहुत जरूरी है। वे राष्ट्र के विकास के आधार स्तम्भ हैंक इस जिम्मेदारी का उन्हें अहसास कराया जाना चाहिए।
वर्तमान समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “वोकल फॉक लोकल” औरतथा “आत्मनिर्भर भारत” बनाने का मंत्र दिया है। आत्मनिर्भर भारत बनाकर ही हम देश को विश्व की सबसे बड़ी शक्ति बना सकते हैं और इस काम में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका देश के युवाओं की है। वे स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देकर प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर के भारत का साकार कर सकते हैं।
सुरेश बाबू मिश्रा
(सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य)