बरेली। बच्चों को स्वस्थ और हृष्ट-पुष्ट रखने के लिए स्वर्णप्राशन संस्कार का आयोजन किया गया जिसमें तमाम बच्चों ने भाग लिया। यह संस्कार पुष्प नक्षत्र में करवाया जाता है।
कायाबंधु आयुर्वेदिक हॉस्पिटल में डॉ दिनेश विश्वास की देखरेख में आयोजित इस कार्यक्रम में डॉ अनिमेष मोहन, डॉ गौरीशंकर शर्मा, डॉ प्रमोद कुमार गुप्ता, सुनील कुमार, संभवी उपाध्याय आदि ने अपना योगदान दिया।
डॉ दिनेश विश्वास ने बताया कि आयुर्वेद आदिकाल से ही अपने तौरतरीकों एवं औषधि प्रणाली द्वारा हर उम्र के लोगों में लगभग हर बीमारी का सटीक इलाज़ प्रदान करती रही है। पिछले कुछ समय यानी कोरोना काल में इसको लेकर देशभर में बहस-सी छिड़ गई है। आयुर्वेद की एक सटीक थैरेपी है स्वर्णप्राशन, जो बच्चों के लिए एक कारगर चिकित्सा के रूप में कोरोना काल में रामबाण साबित हो रही है। स्वर्णप्राशन ‘कश्यप संहिता’ में वर्णित एक स्वर्ण योग है जिससे शरीर के अंदर व्याधिक्षमत्व की वृद्धि होती है। साथ ही यह शारीरिक और मानसिक वृद्धि की दर को भी बढ़ाती है। यह अग्निबल बढ़ाती है और त्वचा को भी स्वस्थ बनाती है। इसमें स्वर्णभस्म के साथ ब्राह्मी, शंखपुष्पी, त्रिकटु, अश्वगंधा, गोघृत और शहद को मिला कर बच्चों को सेवन कराया जाता है!
लखनऊ पीजीआई और सेंटक फ़ॉर बॉयोमेडिकल रिसर्च के अनुसार स्वर्णप्राशन से T cell, B Cell और iL-7 में इजाफा होता है जो साइटोकाइन स्टॉर्म को रोकने में कारगर है। अतः बच्चों में कोरोना की काट के लिए स्वर्णप्राशन रामबाण औषधि है।