बरेली।  सिखों के पांचवें गुरु अर्जन देव का शहीदी पर्व कोहड़ापीर सिंह सभा गुरुद्वारे में सोमवार को श्रद्धापूर्वक मनाया गया।

शहीदों के ‘सरताज’ कहे जाने वाले वीर योद्धा गुरु अर्जन देव का जन्म 15 अप्रैल 1563 को हुआ था। उनके पिता गुरु रामदास सिखों के चौथे गुरु थे। गुरुजी शांत स्वभाव और प्रखर बुद्धि वाले व्यक्ति थे। अकबर की मौत के बाद उसका बेटा जहांगीर मुगल सम्राज्य का शासक बना। इसी दौर में गुरु अर्जन देव पर उल्टे-सीधे आरोप लगाकर उन्हें गिरफ्तार करने का हुक्म दिया गया। इस्लाम कबूल करने के लिए भी कहा गया। इस पर गुरुजी नहीं माने। इससे भड़के जहांगीर ने अपने सैनिकों को हुक्म दिया की गुरु अर्जन देव को तपते तवे पर बैठाकर उनके ऊपर गरम-गरम रेता डाली जाए जिससे वे इस्लाम कबूल कर लें। लेकिन, गुरुजी ने जहांगीर का हुक्म नहीं माना और कैद से छूटकर बराबर में बह रही गंगा में समा गए। इसी की स्मृति में शहीदी गुरु पूर्व मनाया जाता है। इस दिन ठंडी छबील का लंगर जगह-जगह लगाए जाते हैं।

कार्यक्रम में हरबंस सिंह बेदी, मालिक सिंह कालरा, परमजीत सिंह, त्रिलोचन सिंह आदि उपस्थित रहेl

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