शरद सक्सेना, आंवला (बरेली)। त्रि-स्तरीय पंचायत चुनावों के बाद अब ब्लॉक प्रमुख पद के चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। देखा जाए तो यह चुनाव सत्ताधारी दल का ही होता है। जिसकी प्रदेश में सत्ता होती है प्रायः वही इस चुनाव में जीत हासिल करता है। जब सत्ता बदलती है तो ब्लॉक प्रमुख पद पर आसीन होने के लिए सत्ताधारी दल नए पत्ते फेंकने लगता है और अपने लोगों को पदासीन करने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाकर सत्तासीन होने के प्रयास करता है। लेकिन क्या इस बार भाजपा को रामनगर में आसानी से सफलता मिल जाएगी? लगता तो नहीं है।

जहां भाजपा ब्लॉक प्रमुख चुनाव में टिकट देने के लिए अपने कार्यकर्ताओं की माप-बांट व नाप-तोल कर रही है, वहीं इस चुनाव को आगामी विधानसभा चुनाव से जोड़कर भी देखा जा रहा है। मुख्य विपक्षी दल भी अपनी ओर से कोई कोर कसर नहीं छोड रहा है। बरेली जिले के रामनगर ब्लॉक में जो कि सत्ताधारी दल के पूर्व सिंचाई मंत्री का गृह क्षेत्र है, चुनावी बिसात बिछने लगी हैं।

कोरोना गाइडलाइन के विपरीत पिछले सप्ताह पूर्व सिंचाई मंत्री की मौजूदगी में ग्राम हरदासपुर में क्षेत्र पंचायत सदस्यों के स्वागत के नाम पर दमखम दिखाया गया। साथ ही विधायक द्वारा अपने ही संगठन और कार्यकर्ताओं को यह संदेश देने की कोशिश की गई कि उनकी कृपा जिस पर होगी वही रामनगर ब्लॉक का प्रमुख बनेगा।

वहीं समाजवादी पार्टी के पूर्व ब्लॉक प्रमुख विजेंद्र सिंह के नेतृत्व में पार्टी ने पलटवार करते हुए बुधवार को रामनगर के एक निजी विधालय में बीडीसी सदस्यों को एकत्रित करके यह संदेश देने का प्रसास किया कि इस बार का चुनाव भाजपा के लिए आसान नहीं होगा। जिस प्रकार 2017 में भाजपा ने अविश्वास प्रस्ताव के जरिए बडी ही आसानी से तख्ता पलट कर श्रीपाल लोधी को अपना ब्लॉक प्रमुख बनाया था, वैसा अब होने वाला नहीं है। अब समाजवादी पार्टी पूरे दमखम के साथ सत्ताधारी भाजपा का मुकाबला करेगीं क्योंकि यदि इस चुनाव वह कमजोर पड़ गई और बिना संघर्ष के ही ब्लॉक प्रमुख की सीट भाजपा को दे दी तो आगामी विधानासभा चुनाव में सपा कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट जाएगा। 

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