बरेली। तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर का 51वां वार्षिकोत्सव मंगलवार को सांकेतिक तौर पर अत्यंत सादगी से मनाया गया। पटेल नगर स्थित भव्य मंदिर में कोविड प्रोटोकाल के साथ प्रातः हुए पूजन-हवन में 8-10 लोग ही उपस्थित थे। पुजारी मध्यम कुमार ने विधि-विधान से सभी कर्मकांड संपन्न कराए। सायंकाल श्रृंगार और आरती के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल जीसी रेड्डी ने 15 अप्रैल 1970 को किया था। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां पूजा-अर्चना आंध्र प्रदेश में तिरुमला की पहाड़ियों पर स्थित मुख्य देव स्थान भगवान तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर (भू-बैकुंठ धाम) की परंपरा के अनुसार दक्षिण भारतीय ढंग से पुजारियों द्वारा ही सम्पन्न कराई जाती है।

इस बार पिछले सालों की तरह भक्तों का रेला तो नहीं उमड़ा लेकिन मंदिर के मुख्य पुजारी और सेवादारों ने पूरे विधि-विधान से भगवान वेंकटेश्वर की पूजा, हवन आदि सम्पन्न कराए। मंदिर के ट्रस्टी डॉ एपी सिंह और कार्यकारी प्रबंधक आरए शर्मा ने बताया कि कोरोना खत्म होने के बाद स्वर्ण जयंती समारोह धूमधाम से मनाने का प्रबंधन कमेटी ने फैसला लिया है।

सायंकालीन श्रृंगार।

सुबह 6 बजे शुरू हुए धार्मिक कार्यक्रम

मंदिर में धार्मिक कार्यक्रम सुबह 6 बजे शुरू हुए जब सुप्रभातम् मंत्रोच्चार के जरिये देव प्रतिमाओं को जगाया गया। इसके बाद पुजारियों ने सभी देव प्रतिमाओ को घी, दही, शहद, गंगाजल आदि से स्नान कराया। सभी देव प्रतिमाओं का श्रृंगार किया गया। मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर की मुख्य प्रतिमा के समक्ष यज्ञ कर विश्व कल्याण और भक्तों की मनोकामनाओ की पूर्ति की प्रार्थना की गई। इसके बाद मंदिर में पूजा-अर्चना और आरती के पश्चात प्रसाद वितरण किया गया। कोरोना की पाबंदियों के कारण सांयकालीन पूजा को संक्षिप्त करते हुए सिर्फ आरती का आयोजन किया गया।

वार्षिकोत्सव में मुख्य ट्रस्टी गायत्री सिंह, ट्रस्टी डॉ एपी सिंह, शंकर दास और निर्भय सक्सेना।

उत्तर प्रदेश मे भगवान वेंकटेश्वर के गिने-चुने मंदिर है जिनमें यह मंदिर भी शामिल है। मुख्य मंदिर और परिसर में अन्य मंदिरों का वास्तुशिल्प दक्षिण शैली का ही है। मंदिर के गेट पर दक्षिण भारत की परंपरा के अनुसार एक विशाल गोपुरम् भी बनाया गया है। वर्ष 1977 में मंदिर के साथ ही मालती दलाल मंडपम का निर्माण कराया गया। लाल रंग के इस मंडपम की छटा दूर से ही देखते बनती है। मंदिर का संचालन मालती दलाल ट्रस्ट करता है।

गौरतलब है कि पिछले साल भी कोविड प्रोटोकाल की वजह से स्थापना दिवस सादगी से मनाया गया था। इस बार भी दिनभर चलने वाले विभिन्न कार्यक्रम भंडारा आदि नहीं हुए। वार्षिक पूजन-हवन कारने के लिए दिल्ली से आने वाले पुजारी भी नहीं आये। आज के कार्यक्रम में मुख्य ट्रस्टी गायत्री सिंह, ट्रस्टी डॉ एपी सिंह शंकर दास, निर्भय सक्सेना आदि उपस्थित थे।

 

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