लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अवैध मतांतरण (धर्मांतरण) कराने में सक्रिय एक बड़े गैंग के 3 और खास मोहरों को उत्तर प्रदेश एटीएस ने गिरफ्तार कर लिया है। ये गिरफ्तारियां दिल्ली व हरियाणा से की गई हैं। धर्मांतरण निषेध कानून का मखौल उड़ाते हुए राज्य में कराए जा रहे मतांतरण के इस सुनियोजित मामले में अब तक 5 लोग पकड़े जा चुके हैं।
एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने सोमवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मतांतरण के मामले में दबोचे गए लोगों के नाम राहुल भोला, मन्नू उर्फ अब्दुल मन्नान और इरफान खान हैं। उमर गौतम और जहांगीर फाकरी की बीते मंगलवार को रिमांड मिलने के बाद हुई पूछताछ में दोनों ने बड़े राज उगले हैं। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश एटीएस ने मतांतरण के इस मामले में सोमवार को तीन और लोगों को गिरफ्तार किया है। ये तीनों उमर गौतम और जहांगीर के ही गिरोह के ही हैं। इन पांचों के कनेक्शन सामने आते ही पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने लिंक खंगालने शुरू कर दिए हैं। इसके अलावा मुस्लिम बहुल क्षेत्र में उसकी सक्रियता को भी अहम मानकर खंगाला जा रहा है।
धर्मांतरण के लिए विदेश से फंडिंग
प्रशांत कुमार ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि धर्मांतरण के लिए विदेश से फंडिंग होती रही है। अब तक एक करोड़ 70 लाख रुपये खातों में आने की बात सामने आई है। यह पैसे 2010 से लेकर जून 2021 के बीच आए हैं। खातों में कैश और चेक के द्वारा धन दिया गया है। दुबई, कतर जद्दा और अबू धाबी से खातों में 50 लाख रुपये जमा किए गए हैं।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश एटीएस ने बीते सोमवार को हजार से अधिक लोगों का मतांतरण कराने वाले उमर गौतम और जहांगीर फाकरी को पकड़ा था। दिल्ली के जामिया नगर से मुफ्ती काजी जहांगीर आलम फाकरी (निवासी जोगाबाई, जामिया नगर, नई दिल्ली) और मोहम्मद उमर गौतम (निवासी बाटला हाउस, जामिया नगर, नई दिल्ली) को यूपी एटीएस ने गिरफ्तार किया था। इन पर हजार से अधिक मूक-बधिर छात्रों और निर्धन लोगों को धन, नौकरी और शादी का लालच देकर धर्मांतरण कराने का आरोप है।
प्रशांत कुमार ने बताया कि प्रकाश में आया है कि उमर गौतम ने अपने और अपने परिवार के व्यक्तिगत बैंक खातों का प्रयोग विदेश से धन लेने के लिए किया है। यह फॉरेन करेंसी रेगुलेशन एक्ट 2010 के प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन है।
मुजफ्फरपुर का कनेक्शन
कानपुर में हुए धर्मांतरण के मामले का बिहार के मुजफ्फरपुर का कनेक्शन सामने आया। मुजफ्फरपुर में भी जांच शुरू हो गई है। यूपी एटीएस के पदाधिकारी ने मुजफ्फरपुर के हथौड़ी थानाक्षेत्र निवासी एक युवक रागिब असलम को तलब किया। हथौड़ी पंचायत के मुखिया इफ्तकार आलम बेटे रागिब असलम को थाने लेकर पहुंचे। एटीएस ने रागिब से पूछताछ कर उसका मोबाइल फोन और लैपटॉप जब्त कर लिया है। एटीएस ने मुखिया इफ्तकार आलम और उसके पुत्र रागिब असलम को नोटिस दिया है। दोनों को तीन दिन के अंदर नोएडा स्थित एटीएस के कार्यालय में उपस्थित होने के लिए कहा है। रागिब ने मूक बधिर विद्यालय से पढ़ाई की है। पिता के मुताबिक, रागिब नें दसवीं तक की पढ़ाई पटना के आशादीप मूक बधिर स्कूल से की। उसके बाद आईकॉम की पढ़ाई इंदौर के एक स्कूल से की। उसके बाद वह नोएडा स्थित डीफ एंड डंब स्कूल गया जहां उसने हिंदी और अंग्रेजी भाषा के साथ कम्प्यूटर की पढ़ाई की। वहीं से रागिब का चयन कानपुर के ज्योति मूक बधिर स्कूल के लिए बतौर टीचर किया गया। रागिब साल 2018-19 में वहां शिक्षक था। उसी स्कूल के छात्र आदित्य गुप्ता ने धर्म परिवर्तन करके इस्लाम को स्वीकार कर लिया है।
तीन धर्म गुरुओं की भूमिका पाई गई थी संदिग्ध
धर्मांतरण मामले में तीन धर्म गुरुओं की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी। एटीएस अब तीनों धर्म गुरुओं की कुंडली खंगाल कर धर्मांतरण के रहस्यों से पर्दा उठाने में जुटी हुई है। एटीएस की जांच-पड़ताल में पता चला कि तीनों 2019 में एनआरसी व सीएए विरोधी दंगों को भड़काने में भी शामिल रहे थे।
इनमें से एक धर्म गुरू जेल भेजे जा चुके मोहम्मद उमर गौतम के संपर्क में भी रहा था। मोहम्मद उमर इस धर्म गुरु को कई बार अपने साथ हलीम मुस्लिम कॉलेज लेकर गया था, जहां मूक बधिर छात्रों का ब्रेनवॉश किया जाता था। धर्मांतरण मामले में तीनों धर्म गुरुओं की भूमिका पता लगने के लिए एटीएम उनके बीते आठ माह का डाटा खंगालने में जुटी है। सुरक्षा एजेंसियां इन धर्म गुरुओं की कॉल डिटेल रिपोर्ट, सोशल मीडिया एक्टिविटी के माध्यम से यह पता करने का प्रयास कर रही हैं कि धर्म गुरुओं की धर्मांतरण के संबंध में किससे बात होती थी। सोशल मीडिया पर उनकी तरफ से बीते आठ महीनों में की गई पोस्ट भी खंगाली जा रही है, जिससे उनकी भवानाओं का पता लग सकेगा। पूर्व में इन्हीं तीनों गुरुओं पर एनआरसी के विरोध में फंडिंग एकत्रित करने का भी आरोप लगा था।