एवैस्कुलर नेक्रोसिस यानी बोन डेथFILE PHOTO: A patient suffering from COVID-19 receives treatment at the coronavirus disease (COVID-19) Intensive Care Unit (ICU) of the "Klinikum Darmstadt" clinic in Darmstadt, Germany, May 20, 2021. Picture taken May 20, 2021. REUTERS/Kai Pfaffenbach/File Photo

मुम्बई। कोरोना वायरस संक्रमण के बीच आए ब्लैक फंगस के बाद अब एक और नयी बीमारी सामने आ रही है। म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के बाद अब कोरोना से ठीक हुए मरीजों में एवैस्कुलर नेक्रोसिस यानी बोन डेथ के मामले देखने को मिल रहे हैं। इस बीमारी में लोगों के शरीर की हड्डियां गलने लगती हैं।मुंबई में एवैस्कुलर नेक्रोसिस के तीन मामले सामने आए हैं। इस नई बीमारी ने डॉक्टरों की चिंता बढ़ा दी है। इस बीच विशेषज्ञों ने कहा है कि आने वाले समय में इस घातक बीमारी के मामले बढ़ सकते है।

मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में भर्ती तीनों मरीजों की उम्र 40 साल से कम है। कोरोना से ठीक होने के दो महीने बाद ही उनमें एवैस्कुलर नेक्रोसिस यानी बोन डेथ के लक्षण विकसित होने लगे। म्यूकोरमाइकोसिस और एवैस्कुलर नेक्रोसिस दोनों ही स्टेरॉयड के इस्तेमाल से जुड़ी हुई हैं। बता दें कि कोरोना के मरीजों के इलाज में स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया जाता है।

हिंदुजा अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. संजय अग्रवाल ने कहा, इन मरीजों को फीमर बोन यानी जांघ की हड्डी में दर्द महसूस हुआ। ये तीनी ही मरीज डॉक्टर थे जिसके कारण उन्हें लक्षण पहचानने में आसानी हुई और वे तुंरत इलाज के लिए अस्पताल पहुंच गए।

डॉ संजय अग्रवाल न कहा कि 36 साल के एक मरीज में कोरोना से ठीक होने के 67 दिन बाद एवैस्कुलर नेक्रोसिस की शिकायत हुई जबकि दो अन्य मरीजों में 57 और 55 दिनों के बाद इसके लक्षण दिखें। उन्होंने बताया कि सभी मरीजों को कोरोना के इलाज के दौरान स्टेरॉयड दिए गए थे।

एवैस्कुलर नेक्रोसिस पर डॉ.अग्रवाल का रिसर्च पेपर ’एवैस्कुलर नेक्रोसिस ए पार्ट ऑफ लॉन्ग कोविड-19’ शनिवार को प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल ’बीएमजे केस स्टडीज’ में प्रकाशित हुआ। इसमें उन्होंने बताया कि कोविड -19 मामलों में ’जीवन रक्षक कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का बड़े पैमाने पर उपयोग’ के कारण एवीएन मामलों में बढ़ोत्तरी होगी।

इस बीच, कोयंबटूर के सरकारी अस्पताल में म्यूकोर्मिकोसिस के 264 मरीजों में से 30 मरीजों की एक आंख की रोशनी चली गई। अस्पताल के एक शीर्ष अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी। अस्पताल के डीन डॉ एन निर्मला ने एक रिलीज में कहा कि भर्ती किए गए सभी लोगों की एंडोस्कोपी की गई और 110 मरीजों की सर्जरी की गई। लेकिन गंभीर संक्रमण वाले 30 रोगियों की एक आंख की रोशनी चली गई थी, उन्होंने कहा कि जो लोग शुरुआती चरण में आए थे वे बीमारी से पूरी तरह ठीक हो गए थे।

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